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मनमोहन सरकार 'आईसीयू' में: आडवाणी

विश्‍वास मत पर बहस के दौरान विपक्ष के नेता लालकृष्‍ण आडवाणी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार अस्पताल के आईसीयू में भर्ती मरीज़ की तरह है और स्वाभाविक है कि ये सवाल पूछा जाए कि क्या ये मरीज़ बचेगा या नहीं

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विश्‍वास प्रस्‍ताव पर बहस के दौरान विपक्ष के नेता लालकृष्‍ण आडवाणी
विश्‍वास प्रस्‍ताव पर बहस के दौरान विपक्ष के नेता लालकृष्‍ण आडवाणी

विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा यूपीए सरकार ख़ुद इस विश्वास प्रस्ताव की बहस के लिए ज़िम्मेदार है जबकि अर्थव्यवस्था, महँगाई और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत हैं.

आडवाणी का कहना था, "चुनाव से कुछ महीने पहले यदि ये बहस हो रही है तो इसकी ज़िम्मेदार सरकार ख़ुद है और प्रधानमंत्री जी विशेष तौर पर है. एक साल पहले जब उन्होंने एक अख़बार को इंटरव्यू में कहा कि यदि वाम मोर्चा परमाणु समझौते से सहमत नहीं तो वह जो फ़ैसला करने चाहे कर सकता है. तब से लेकर पिछले एक साल तक सरकार को जैसे लकवा ही मारा रहा है."
 

विश्‍वास मत पर बहस के दौरान विपक्ष के नेता लालकृष्‍ण आडवाणी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार अस्पताल के आईसीयू में भर्ती मरीज़ की तरह है और स्वाभाविक है कि ये सवाल पूछा जाए कि क्या ये मरीज़ बचेगा या नहीं?  

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लोकसभा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद उस पर बहस हो रही है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संक्षिप्त भाषण में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की चार साल की कारगुज़ारी पर वोट माँगा.

उधर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मोहम्मद सलीम ने बहस में हिस्सा लेते हुए यूपीए को निशाना बनाया और कहा कि सवाल विश्वसनीयता का है. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री यह कह कर विश्वास प्रस्ताव लाए कि सदन को मंत्रिपरिषद में विश्वास है लेकिन सवाल यहां विश्वसनीयता का ही है. विश्वास तोड़ा गया है."

उन्होंने न्यूनतम साझा कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि वाम दलों ने यूपीए के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर समझौता किया था लेकिन कांग्रेस सरकार ने अमरीका के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम बना लिया.  सलीम का कहना था कि यह सभी जानते हैं कि कई नीतियों पर कांग्रेस और वाम दलों के मतभेद हैं मसलन विनिवेश, आर्थिक नीति लेकिन विदेश नीति के मसले पर कांग्रेस अपनी ही नेताओं के सुझाए हुए रास्ते का विरोध करेगी.

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