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सोनिया के दामाद जी पर फिर उठी उंगली, खेमका की रिपोर्ट में दावा- गलत दस्तावेज पर हुई राबर्ड वाड्रा क

सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये 3.5 एकड़ की जमीन से करोड़ों रुपये की कमाई की. यह दावा किया है आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने. अशोक खेमका ने हरियाणा जमीन सौदा विवाद मामले पर 100 पेज की रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन का सौदा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया था.

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IAS अशोक खेमका
IAS अशोक खेमका

सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये 3.5 एकड़ की जमीन से करोड़ों रुपये की कमाई की. यह दावा किया है आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने. अशोक खेमका ने हरियाणा जमीन सौदा विवाद मामले पर 100 पेज की रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन का सौदा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया था.

मामला गुड़गांव के शिकोहपुर गांव की साढ़े तीन एकड़ जमीन का है. यह वही जमीन है जिसके सौदे की जांच करने के बाद आईएएस खेमका ने जमीन की रजिस्ट्री को ही रद्द कर दिया था.

खेमका ने अपनी रिपोर्ट में वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ के बीच 2011 से 2012 तक हुए फर्जी लेन-देन का भी ब्यौरा दिया है. सेल डीड में 7.5 करोड़ रुपये के चेक का जिक्र है. लेकिन यह वाड्रा की कंपनी का नहीं है. इतना ही नहीं, स्टांप ड्यूटी भी वाड्रा की कंपनी ने नहीं दी. उसे ओंकारेश्वर प्रॉपर्टी ने भरा.

खेमका ने यह रिपोर्ट तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपी है, जिसका गठन हरियाणा सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में वाड्रा-डीएलएफ डील की जांच के लिए किया था. हरियाणा सरकार पहले ही वाड्रा को क्लीन चिट दे चुकी है.

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नवंबर 2012 में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाड्रा के खिलाफ अनियमितताओं के आरोपों को झूठा और अफवाह पर आधारित बता चुका था.

समझा जाता है कि खेमका ने 100 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि कोई राशि का भुगतान नहीं किया गसा जैसा की पंजीकृत दस्तावेज में दावा किया गया. इस दस्तावेज में बिक्री के पंजीकरण को सही अथरे में कानूनी या नैतिक रूप में बिक्री नहीं कहा जा सकता और यह नहीं कहा जा सकता कि स्काईलाइट हास्पिटैलिटी दस्तावेज में बिक्री के पंजीकरण के माध्यम से जमीन का मालिक हो गया. खेमका का जवाब सार्वजनिक होने पर, इस बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, ‘वह इस मुद्दे पर मीडिया में कुछ नहीं कहेंगे.’

हरियाणा के मुख्य सचिव पी के चौधरी ने कहा, ‘हम खेमका के जवाब की पड़ताल कर रहे हैं.’ हरियाणा सरकार की समिति ने इस वर्ष के प्रारंभ में कहा था कि वाड्रा से जुड़े भूमि सौदों की जांच के लिए खेमका की ओर से जारी आदेश नियमों या प्रावधानों के दायरे में नहीं आते हैं और उपयुक्त नहीं हैं.

इसके साथ ही समिति ने यह भी कहा था कि खेमा का जमीन का म्यूटेशन रद्द करने का आदेश उपयुक्त नहीं है. विगत में हस्तांतरित सभी ऐसे लाइसेंसों की मंजूरी के संबंध में सार्वजनिक संपत्ति के कथित लूट का खुलासा करने के लिए श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए खेमका ने लिखा कि डीटीसीपी ने 2005 से 2012 के दौरान भुपिन्दर सिंह हुड्डा सरकार के कार्यकाल में पिछले आठ वर्षों में 2,13,666 एकड़ जमीन के संबंध में विभिन्न तरह के कालोनी लाइसेंस जारी किया.

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उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि अगर इस संबंध में कालोनी लाइसेंस के लिए बाजार मुनाफा न्यूनतम एक करोड़ रूपया मान लिया जाए तब पिछले आठ वर्षों में जमीन लाइसेंस घोटाला करीब 20,000 करोड़ रुपये का होगा. उन्होंने दावा किया कि प्रति एकड़ 15.78 करोड़ रुपये के प्रीमियम पर यह राशि 3.5 लाख करोड़ रुपये जा सकती है.

उन्होंने अपने पत्र में आरोप लगाया कि डीटीसीपी ने अप्रैल 2012 में स्काईलाइट को डीएलएफ को लाइसेंस हस्तांतरित करने की अनुमति दी और लाइसेंसशुदा जमीन अंतत: 18 सितंबर 2012 को डीएलएफ को बेच दी गई. बहरहाल, इंडियन नेशनल लोक दल ने खेमका के जवाब पर उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से इसका जांच कराने की मांग की है.

कौन हैं अशोक खेमका?
अशोक खेमका उन आईएएस अफसरों में गिने जाते हैं, जिनके सामान हमेशा पैक ही रहते हैं. करियर की लंबाई से दुगुनी बार ट्रांसफर देख चुके खेमका 1991 बैच के आईएएस अफसर हैं. इससे पहले उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी. और टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से पीएचडी की थी. ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग के लिए खेमका को एस आर जिंदल सम्मान भी मिल चुका है. लेकिन ईमानदारी का इनाम मिला है 22 साल के करियर में 44 बार ट्रांसफर के तौर पर. हरियाणा कैडर के अफसर खेमका जन्म से कोलकाता के रहने वाले हैं.

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कांग्रेस की बढ़ी मुसीबत
वाड्रा जमीन विवाद को लेकर खेमका की नई रिपोर्ट पर कांग्रेस फंसी हुई लग रही है. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि हरियाणा के अधिकारी ही इसपर जवाब देंगे. पार्टी की दलील है कि चूंकि ये मामला पूरी तरह से आधिकारिक है, इसलिए उच्च अधिकारी ही इसका जवाब देंगे. सूत्रों की मानें, तो चूंकि मामला हरियाणा का है, इसलिए जवाब चंडीगढ़ से ही दिया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि लिखित बयान तैयार किया जा रहा है.

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