चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अब काली अंधेरी रात होने वाली है. इसके साथ ही इसरो (Indian Space Research Organisation - ISRO) का विक्रम लैंडर से संपर्क करने का सपना भी इसी अंधेरे में गुम हो जाएगा. क्योंकि, सिर्फ तीन घंटे बाद विक्रम लैंडर उस अंधेरे में खो जाएगा, जहां से उससे संपर्क करना तो दूर, उसकी तस्वीर भी नहीं ली जा सकेगी. इसरो ही नहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत दुनिया की कोई भी स्पेस एजेंसी विक्रम लैंडर की तस्वीर तक नहीं ले पाएगा. यही नहीं, 14 दिनों की इस खतरनाक रात में विक्रम लैंडर का सही सलामत रहना बेहद मुश्किल होगा.
चांद के उस हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी, जहां विक्रम लैंडर है. तापमान घटकर माइनस 183 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. इस तापमान में विक्रम लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खुद को जीवित नहीं रख पाएंगे. अगर, विक्रम लैंडर में रेडियोआइसोटोप हीटर यूनिट लगा होता तो वह खुद को बचा सकता था. क्योंकि, इस यूनिट के जरिए इसे रेडियोएक्टिविटी और ठंड से बचाया जा सकता था. यानी, अब विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की सारी उम्मीदें खत्म होती दिख रही है.
The Sun will set over the landing site of the Chandrayaan-2 mission Vikram lander within 2 days. As Vikram is not equipped with radioisotope heater units, any hope of contacting the spacecraft will die as temperatures approach ~minus 180 Celsius. pic.twitter.com/jsTUZiXnCp
— Andrew Jones (@AJ_FI) September 17, 2019
20-21 सितंबर के बाद ISRO ने दे सकता है विक्रम से जुड़ी जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organisation - ISRO) के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि 20-21 सितंबर के बाद विक्रम लैंडर से जुड़ी जानकारी और तस्वीरें आम लोगों के लिए जारी कर सकता है. हालांकि, इसरो ने यह नहीं बताया है कि ये विक्रम लैंडर से जुड़ी जानकारियां और तस्वीरें कब तक जारी करेगा. लेकिन ये बात जरूर कही है कि हम सारी जानकारियां लोगों को बताएंगे और इसे सोशल मीडिया पर भी जारी करेंगे. बता दें कि 17 सितंबर को इसरो ने ट्वीट कर लिखा है कि हमारे साथ खड़ा होने के लिए आप सभी का धन्यवाद. हम दुनिया भर में भारतीयों की आशाओं और सपनों से प्रेरित होकर आगे बढ़ते रहेंगे. यानी इस संदेश से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब उम्मीद की कोई किरण नहीं दिख रही है.Thank you for standing by us. We will continue to keep going forward — propelled by the hopes and dreams of Indians across the world! pic.twitter.com/vPgEWcwvIa
— ISRO (@isro) September 17, 2019
चांद पर 3 घंटे बाद रात के अंधेरे में खो जाएगा विक्रम लैंडर
7 सितंबर को तड़के 1.50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर गिरा था. जिस समय चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद पर गिरा, उस समय वहां सुबह थी. यानी सूरज की रोशनी चांद पर पड़नी शुरू हुई थी. चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यानी 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी. 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का टाइम पूरा हो जाएगा. आज 18 सितंबर है, यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से करीब 3 घंटे पहले का वक्त. यानी, चांद पर शाम हो चुकी है. हमारे कैलेंडर में जब 20 और 21 सितंबर की तारीख होगी, तब चांद पर रात का अंधेरा छा चुका होगा.
नासा ने भी कहा था कि अब विक्रम लैंडर से संपर्क मुश्किल है
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ.ई.पेत्रो ने बताया था कि चांद पर शाम होने लगी है. हमारा LRO विक्रम लैंडर की तस्वीरें तो लेगा, लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि तस्वीरें स्पष्ट आएंगी. क्योंकि, शाम को सूरज की रोशनी कम होती है और ऐसे में चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना चुनौतीपूर्ण काम होगा. लेकिन जो भी तस्वीरें आएंगी, उन्हें हम भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो से साझा करेंगे.
नासा के तीन डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना भेज रहे हैं विक्रम को संदेश
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) भी अपने डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर से संपर्क बनाने का प्रयास कर रहे हैं. ये तीन सेंटर्स हैं - स्पेन का मैड्रिड, अमेरिका के कैलिफोर्निया में गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया का कैनबरा. इस तीन जगहों पर लगे ताकतवर एंटीना चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क साध पा रहे हैं, लेकिन विक्रम लैंडर को भेजे जा रहे संदेशों का कोई जवाब नहीं आ रहा है. जबकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर उसे मिलने वाले संदेशों का जवाब दे रहा है.