खराब सड़क और बारिश से आपूर्ति बाधित, त्रिपुरा में मुश्किल से मिल रहा है पेट्रोल-डीजल
एक तरफ जहां देश के अन्य हिस्सों में मॉनसून वापसी की ओर है वहीं लगातार बारिश की वजह से त्रिपुरा का बुरा हाल हो गया है. नतीजा यह हुआ है कि राज्य में जरूरी चीजों का अभाव पैदा हो गया है. परिवहन के लिए केवल एक माह का ईंधन बचा है.
एक तरफ जहां देश के अन्य हिस्सों में मॉनसून वापसी की ओर है वहीं लगातार बारिश की वजह से त्रिपुरा का बुरा हाल हो गया है. राज्य की जीवन रेखा कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर बारिश की बुरी मार पड़ी है. पहले से ही बदहाल राजमार्ग और बदतर हाल में पहुंच गया है. नतीजा यह हुआ है कि राज्य में जरूरी चीजों का अभाव पैदा हो गया है.
Tripura faces severe fuel crisis as vehicular movement affected due to deteriorating condition of NH-44 pic.twitter.com/CYNnYY1CaO
एनएच-44 त्रिपुरा को असम और मेघालय के जरिए बाकी देश से जोड़ता है.सड़कें भारी बारिश की वजह से असम का पोवा और उत्तरी त्रिपुरा का चुरईबाड़ी का 12 किलोमीटर लंबा इलाका एक तरह के कीचड़ के मैदान में बदल चुका है.
असम और त्रिपुरा की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ईकाइयां सड़कों की बेहतरी के लिए एक माह से प्रदर्शन कर रही हैं. कांग्रेस ने सोमवार को एनएच-44 पर ग्यारह जगहों पर दो घंटे का चक्का जाम किया. पार्टी की मांग सड़क की दशा सुधारने को लेकर है.
त्रिपुरा के सरकारी अधिकारियों का कहना है कि एनएच-8 की हालत खस्ता है. सामान से लदे ट्रक, ईंधन टैंकर और अन्य वाहन दक्षिण असम के पोवा में फंसे हुए हैं. खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के निदेशक सौमित्र बंदोपाध्याय ने कहा, 'राज्य सरकार केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय तथा असम सरकार के संपर्क में है. कोशिश है कि सामान से लदे ट्रक और ईंधन वाहन आ-जा सकें.'
त्रिपुरा के लोक निर्माण मंत्री बादल चौधुरी ने एनएच-44 का मुआयना करने के बाद असम और केंद्र सरकार से इसकी हालत सुधारने की गुहार लगाई. चौधुरी ने कहा, 'हमारे सांसद, मुख्यमंत्री, मैं खुद कितनी ही बार सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिल चुके हैं. खत से, फोन से गुजारिश कर चुके हैं कि सड़कों के लिए कुछ करें. लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकला.'
त्रिपुरा जरूरी चीजों के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर है. दक्षिण असम में अमान परिवर्तन की वजह से यहां रेल सेवा भी बंद है. अब ऐसे में सिर्फ सड़क ही आवागमन का जरिया है और इसका हाल भी बुरा है. इस कारण लोगों के लिए जरूरी सामान जुटा पाना भी मुश्किल साबित हो रहा है.