कहते हैं भी़ड़ के पास दिमाग नहीं होता. तो क्या भीड़ में से किसी के पास दिल भी नहीं होता?
हाल की तीन घटनाएं तो यही बताती हैं कि इन्हें अंजाम देने वालों के पास न तो दिल है न दिमाग? आइए, एक एक कर देखते हैं.
कानून हाथ में क्यों?
पहली घटना. बिहार के नालंदा में भीड़ ने पीट पीट कर एक स्कूल के प्रिंसिपल को मार डाला . मारनेवाले प्रिंसिपल को स्कूल के दो बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार मान रहे थे. बाद में जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला दोनों बच्चों की मौत तो डूबने से हुई थी.
लेकिन भीड़ की कौन कहे , दूसरी घटना देखिए. यूपी के शाहजहांपुर में एक बड़े होटल के जनरल मैनेजर ने एक स्टोर कीपर की उंगलियां काट डालीं क्योंकि उस पर एलपीजी सिलिंडर चोरी करने का इल्जाम था. स्टोर कीपर को अस्पताल में दाखिल कराया गया है जहां डॉक्टर उसकी उंगलियां जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
तीसरी घटना भी यूपी से ही है. इलाहाबाद में जब दुकानदार ने जूते के पैसे मांगे तो उन्हें गोली मार दी गई. जख्मी दोनों सगे भाई अस्पताल में भर्ती हैं.
पहली घटना दो बच्चों की मौत से जुड़ी है. दूसरी घटना सिलिंडर की चोरी से जुड़ी है - और तीसरा वाकया जूते के पैसे मांगने का है.
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