scorecardresearch
 

मोदी सरकार की नई नीति से कम हो जाएगा हज का खर्च: विशेषज्ञ समिति

हज के लिए नई नीति तैयार करने वाली केंद्र सरकार की विशेषज्ञ समिति ने 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए 'मेहरम' की शर्त हटाए जाने को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों की आपत्ति को गैरजरूरी करार दिया और कहा कि नई नीति से हज के खर्च में काफी कमी आएगी. भारत से करीब हर साल 170,000 लोग हज पर जा सकते हैं.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक
प्रतीकात्मक

हज के लिए नई नीति तैयार करने वाली केंद्र सरकार की विशेषज्ञ समिति ने 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए 'मेहरम' की शर्त हटाए जाने को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों की आपत्ति को गैरजरूरी करार दिया और कहा कि नई नीति से हज के खर्च में काफी कमी आएगी. भारत से करीब हर साल 170,000 लोग हज पर जा सकते हैं.

हाल ही में पेश नई हज नीति के अनुसार 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं बिना मेहरम के भी हज पर जा सकती हैं. मेहरम उस शख्स को कहते हैं, जिससे महिला का निकाह नहीं हो सकता. मसलन, पिता, सगा भाई, पुत्र और पौत्र एवं नवासा मेहरम हो सकता है. ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत तथा कुछ अन्य मुस्लिम समूहों ने बिना मेहरम के हज पर जाने की छूट को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा है कि सरकारी समिति ने 'व्यावहारिक दिक्कतों' को नजरअंदाज किया है.

Advertisement

नई हज नीति के सूत्रधार माने जाने वाले और इस विशेषज्ञ समिति के संयोजक अफजल अमानुल्ला ने कहा, 'नई हज नीति तैयार करने की पूरी प्रक्रिया के दौरान हमने सऊदी अरब सरकार से संपर्क किया तो पता चला कि महिलाओं के अकेले हज करने को लेकर उनकी तरफ से कोई पाबंदी नहीं है. भारत सरकार और सऊदी अरब के बीच समझौते के तहत मेहरम साथ जाने की व्यवस्था थी. हमने 45 साल और इससे अधिक उम्र की महिलाओं के बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत दी.' उन्होंने कहा, 'मुस्लिम समाज में अलग-अलग पंथों के लोग मेहरम मामले पर अपने तरीके से आगे बढ़ सकते हैं. अगर किसी पंथ में इसकी मनाही है तो उस स्थिति में मेहरम को भेजा जा सकता है. इस नीति को किसी पर थोपा नहीं जाएगा.'

भारतीय हज समिति के सदस्य मोहम्मद इरफान अहमद ने कहा, 'यह क्रांतिकारी कदम है. इस पर कुछ लोग बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं. इसे महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए.'

कई मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि समूह ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिश ए-मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद का कहना है, 'हम इस मामले में धार्मिक नजरिए से बात नहीं कर रहे हैं. नई हज नीति तैयार करने में व्यवहारिक दिक्कतों को नजरअंदाज किया गया है. हज का सफर मुश्किल भरा होता है. बहुत पैदल चलना होता है. थकने और बीमार पड़ने का अंदेशा बहुत अधिक होता है. इन दिक्कतों को देखते हुए किसी के साथ होने से आसानी होती है. नई हज नीति में इन पहलुओं पर खयाल नहीं किया गया है.'

Advertisement

उधर, अफजल अमानुल्ला का कहना है कि नई हज नीति लागू होने के बाद अगले साल से हज पर खर्च काफी कम हो जाएगा. उन्होंने कहा, 'नई हज नीति लागू होने के बाद सऊदी अरब में रहने, परिवहन और दूसरे खर्चों में काफी कमी आएगी. हज समिति के जरिये हज पर जाने वालों को काफी राहत मिलने वाली है.'

Advertisement
Advertisement