असम विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी ने जबरदस्त जीत का परचम लहराया है. इस विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत का श्रेय दो रणनीतिकारों को जाता है. एक तरफ जहां सर्बानंद सोनोवाल पार्टी के प्रचार का चेहरा था, वहीं दूसरी तरफ हिमंता बिस्वा सरमा मुख्य रणनीतिकार थे. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव की भूमिका भी चाणक्य से कम की नहीं थी. लेकिन उनके साथ दो चेहरे ऐसे भी हैं, जिन्होंने पार्टी को जीत दिलाने में दिन-रात एक कर डाला.
सोनोवाल, हिमंता और राम माधव के साथ एक कोर टीम ने दिन-रात काम किया और 3 करोड़ की जनसंख्या वाले राज्य को जीताने में बड़ी भूमिका निभाई. 6 सदस्यों की ये टीम राज्य में पार्टी के हर कदम पर बारीकी से नजर बनाए हुए थी. रजत और शुभ्रास्था के लिए ये किसी घर वापसी से कम नहीं है.
तीस साल के रजत सेठी पिछले साल भारत वापस लौटे थे और 27 साल की शुभ्रास्था ने असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्लानिंग करना और रणनीतिक बनाना शुरू कर दिया. दोनों के लिए ही पार्टी को फंड देने वाले स्त्रोत बढ़ाने से ज्यादा इसकी विचारधारा को स्थापित करना बड़ी चुनौती थी.
रजत का कानपुर से कामरूप तक का सफर
रजत के लिए कानपुर से कामरूप तक का सफर काफी सीखने वाला अनुभव रहा. कानपुर में गोविंद नगर के रहने वाले रजत ने पहले सरस्वती शिशु मंदिर से स्कूली पढ़ाई करने के बाद आईआईटी खड़गपुर में आगे की शिक्षा ली और फिर मैनेजमेंट और पब्लिक पोलिसी में डबल मास्टर्स करने के लिए एमआईटी और हार्वड चले गए. वो अपने पहले असाइनमेंट के लिए भारत वापस लौटे और घर वापस आने के लिए उनके लिए इससे बेहतर कारण नहीं हो सकता था.

कभी बीजेपी के साथ, कभी बीजेपी के खिलाफ
शुभ्रास्था बिहार में नालंदा जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने 2011 में मिरांडा हाउस से इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की थी. उन्होंने पिछले साल हुए बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के लिए काम किया और महिला कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. इससे पहले उन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के प्रचार के लिए काम किया. शुभ्रास्था ने 2014 में जम्मू-कश्मीर में आई भयंकर बाढ़ में बेघर हुए लोगों के लिए काम किया. शुभ्रास्था कहती हैं, 'हमारे और प्रशांत किशोर के बीच किसी तरह की तुलना नहीं होनी चाहिए. हमारे दृष्टिकोण और जिंदगी की प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं.' बिहार में बीजेपी के खिलाफ प्रशांत किशोर के साथ काम कर चुकी शुभ्रास्था ने इस बार असम में बीजेपी के लिए काम करने का फैसला किया और उन्होंने भी धमाकेदार घर वापसी की.

बीजेपी के हर कदम पर बारीकी से रखी नजर
रजत और शुभ्रास्था ने डाटा तैयार करने, रिसर्च करने, छोटी-छोटी रणनीतियां बनाने, कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने और पार्टी के हर कदम पर नजर बनाए रखने के लिए दिन-रात काम किया. टीम ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निर्देशों का पालन किया और राम माधव ने उनकी रणनीतियों का लागू किया. राज्य में बीजेपी के मिशन 84 को हासिल करने के लिए टीम के पास महज 6 महीने का वक्त था लेकिन दो हफ्ते पहले ही स्थिति साफ हो गई थी कि इस बार बीजेपी सत्ता में लौट रही है.
शुभ्रास्था आजकल अमेरिका में अपनी एक महीने की फेलोशिप पूरी करने में बिजी हैं जबकि रजत पूर्वोत्तर में, खासतौर पर असम में उभर रहे आरएसएस पर किताब लिखने की प्लानिंग कर रहे हैं.