भारत में जी20 शिखर सम्मेलन का सफल समापन हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील को जी20 की अगली अध्यक्षता सौंपी है. नई दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को भारत की अध्यक्षता में शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ. आज इसका दूसरा दिन था. इसमें शामिल होने के लिए दुनिया भर से नेता आए. यूं तो भारत आए मेहमानों में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों शामिल हैं. लेकिन इन सबके बीच इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई. लोग उनकी खूबसूरती पर कायल हो हुए.
मेलोनी के भारत के प्रति प्रेम को देखकर भी लोग खुद को उनकी तारीफ करने से रोक नहीं पा रहे. सोशल मीडिया पर उनके काफी मीम्स और वीडियो वायरल हैं. जिनमें वो पीएम मोदी से हाथ मिलाते और बातें करती दिख रही हैं. एक वीडियो में वो पीएम मोदी की तारीफ करती भी नजर आईं. जो इस वक्त खूब शेयर किया जा रहा है.
वो बोलती हैं, 'हमारी सरकार हमारे संबंधों (भारत के साथ) को और आगे बढ़ाएगी. मेरा दृढ़ विश्वास है कि हम एक साथ मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं और मुझे यकीन नहीं है कि मैं अप्रूवल रेटिंग के मामले में मोदी जी की बराबरी कर पाऊंगी. मुझे लगता है कि वह दुनिया भर में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यक्ति हैं.'
चुनाव जीतकर रच दिया इतिहास
मेलोनी दिखने में जितनी खूबसूरत हैं, उतनी ही ज्यादा पॉपुलर भी हैं. अपने देश इटली में वो बेहद कम उम्र में ही लोगों के बीच छा गई थीं. उनके विचार और बयान आए दिन खबरों में आते हैं. सबसे खास बात ये है कि मेलोनी इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं. वो एक धुर दक्षिणपंथी नेता हैं. उन्होंने बीते साल ही चुनाव जीतकर इतिहास रचा था. वो धुर दक्षिणपंथी पार्टी 'ब्रदर्स ऑफ इटली' से हैं. यूरोप के बाकी देशों के साथ ही इटली में भी दक्षिणपंथी पार्टी को अच्छी खासी कामियाबी मिली. उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक की सबसे धुर दक्षिणपंथी सरकार बनाई है.
एलजीबीटी विरोधी और फासीवाद जैसे आरोप
जॉर्जिया मेलोनी पर एलजीबीटी विरोधी, फासीवादी और इस्लामोफोबिक होने के आरोप लगते हैं. हालांकि वो इनसे इनकार करती हैं और अपनी छवि सुधारने पर भी काम कर रही हैं. वो बोल चुकी हैं कि पुतिन से मिलने के लिए उनके पास वक्त नहीं है. उन्होंने नाटो के प्रति समर्थन भी जाहिर किया. बेशक मेलोनी रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन का समर्थन करती हैं, लेकिन उनके गठबंधन वाली दोनों पार्टियों का रूस से गहरा रिश्ता है.
मेलोनी ने एलजीबीटी अधिकारों के खिलाफ अभियान चलाया है. इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिमों को लेकर जो बयान दिए, उनके कारण भी वो विवादों में रही हैं. बेशक वो खुद को फासीवादी कहलाने का विरोध करती हैं. लेकिन अपने आप को मुसोलिनी का वारिस बताती हैं.

मुस्लिम प्रवासियों को बताया खतरा
जॉर्जिया मेलोनी साल 2008 में 31 साल की उम्र में इटली की सबसे युवा मंत्री बनी थीं. इसके चार साल बाद यानी साल 2012 में उन्होंने ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी बनाई. टीनेजर रहते हुए निओ फासिस्ट मूवमेंट में शामिल हुईं. इसकी शुरुआत इटली के पूर्व तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के समर्थकों ने की थी. फिर 2021 में मेलोनी की किताब आई. इसका नाम 'आइ एम जॉर्जिया' था. किताब में भी उन्होंने इसी बात पर जोर किया कि वो फासीवादी नहीं हैं. साथ ही खुद को मुसोलिनी का वारिस भी बताया.
अपनी प्राथमिकताएं गिनाते हुए मेलोनी ने एलजीबीटी लॉबी और प्रवासन पर विरोध जताया. इस्लामिक आतंकवाद को काबू में करने को जरूरी बताया. उन्होंने मुस्लिम प्रवासियों को इटली के लिए खतरा बताया है. इसके कारण वो विवादों में घिर गई थीं.
4 साल में हो गईं काफी पॉपुलर
जहां पिछले चुनाव में ब्रदर्स ऑफ इटली को 4 फीसदी वोट मिले थे, वहीं इस चुनाव में 26 फीसदी वोट मिले. ये सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. हालांकि बहुमत नहीं था, इसलिए अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन किया. इससे साफ पता चलता है कि मेलोनी की लोकप्रियता में 4 साल के भीतर काफी इजाफा हुआ है.