साइबर ठगों ने कर्नाटक के पूर्व विधायक गुंडप्पा वकील को डिजिटल अरेस्ट कर करीब 30.99 लाख रुपये ऐंठ लिए. ठगों ने पूर्व विधायक को सीबीआई, ईडी के अधिकारी नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जोड़ कर लंबे वक्त तक डिजिटल अरेस्ट रखा और उन्हें एक फर्जी ऑनलाइन कोर्ट में सुनवाई भी आयोजित की. शिकायत के बाद बेंगलुरु साइबर क्राइम पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि 12 अगस्त की शाम करीब 6 बजे उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति ने मोबाइल नंबर 464988135 से कॉल प्राप्त हुआ था. कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और दावा किया कि वकील का नाम नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सामने आया है. उसने कहा कि जब्त सामग्री में वकील के नाम पर एक बैंक खाता और एटीएम कार्ड मिले हैं, जिनके माध्यम से भारी वित्तीय लेनदेन हुए हैं.
कॉलर ने पूर्व विधायक से उनकी पूरी जानकारी और संपत्ति का विवरण एकत्र किया. बाद में खुद को डीसीपी नीरुमार बताने वाले व्यक्ति ने दावा किया कि वह इस मामले के जांच अधिकारी हैं. उन्होंने वकील को डिजिटल अरेस्ट में होने की बात कही और कॉल डिस्कनेक्ट न करने की चेतावनी दी.
फर्जी ऑनलाइन कोर्ट में पेशी
13 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 1:00 बजे, एक ANS लिंक के माध्यम से वकील को एक तथाकथित "जज" के सामने वर्चुअल रूप से पेश किया गया. इस दौरान उन्हें कथित तौर पर अपनी गलती स्वीकार करने वाला एक इकबालिया बयान लिखवाया गया. इसके बाद वकील ने अपने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते (A/c No. 52166117210, IFSC: SBIN0020240) से 10,99,000 रुपये येस बैंक के खाते (A/c No. 026188700000353, IFSC: YESB0000261) में RTGS के जरिए ट्रांसफर किए.
फिर ट्रांसफर किए 20 लाख रुपये
इसके बाद, नीरज कुमार और संदीप कुमार नाम के व्यक्तियों ने वकील से रोजाना संपर्क कर उनके और उनके परिवार के बारे में और जानकारी हासिल की. 18 अगस्त 2025 को फिर से ANS लिंक के जरिए वकील को एक जज के सामने पेश किया गया और कहा गया कि ईडी और सीबीआई की संपत्ति जांच के लिए उन्हें 20 लाख रुपये जमा करने होंगे. ठगों के झांसे में आकर वकील ने अपने कैनरा बैंक खाते (A/c No. 04762010037209, IFSC: CNRB0010476) से 20 लाख रुपये इंडसइंड बैंक के खाते (A/c No. 251234665544, IFSC: INDB0000010) में RTGS के जरिए ट्रांसफर कर दिए. ठगों ने जांच पूरी होने के बाद पैसे लौटाने का वादा किया जो कभी पूरा नहीं हुआ.
इस तरह ठगों ने वकील को लगातार "डिजिटल अरेस्ट" के दबाव में रखकर और उनके नाम पर फर्जी बैंक खाते खोलकर 30,99,000 रुपये की ठगी की. वकील की शिकायत के बाद बेंगलुरु CCB साइबर क्राइम पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.