scorecardresearch
 

NJAC पर SC के फैसले की 5 बड़ी बातें...

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति को असंवैधानिक घोषित करते हुए जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम से किए जाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की पीठ ने ये फैसला दिया है. क्या है इस फैसले की 5 बड़ी बातें आइए जानते हैं:

Advertisement
X
NJAC पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
NJAC पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति को असंवैधानिक घोषित करते हुए जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम से किए जाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की पीठ ने ये फैसला दिया है. क्या है इस फैसले की 5 बड़ी बातें आइए जानते हैं:

1. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से जजों की नियुक्ति की प्रणाली में बदलाव करने की सरकार की कोशिश को झटका दे दिया है. शीर्ष न्यायालय के फैसले के मुताबिक अब जजों की नियुक्ति पुराने कॉलेजियम सिस्टम के तहत ही होगी.

2. उच्चतम न्यायालय ने एनजेएसी को लाने के लिए एनडीए सरकार द्वारा किए गए 99वें संवैधानिक संशोधन को असंवैधानिक एवं निरस्त घोषित कर दिया. अदालत ने एनजेएसी अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका को एक वृहद पीठ के पास भेजने की केंद्र की अपील खारिज करते हुए ये फैसला दिया. अदालत ने कहा- 'उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली 99वें संविधान संशोधन से पहले से ही संविधान में मौजूद रही है.'

3. पिछले 22 साल से सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम जजों की नियुक्तियां करता रहा है. सरकार के आयोग बनाए जाने के बाद करीब 400 जजों की नियुक्तियां रुकी पड़ी हैं. आयोग बनाने जाने के बाद कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थीं और कहा गया था कि ये सिस्टम न्यायपालिका की आजादी में दखल है और गैरसंवैधानिक है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए.

4. केंद्र सरकार का कहना है कि यह सिस्टम कॉलेजियम से कहीं ज्यादा पारदर्शी है और किसी भी सूरत में न्यायपालिका की आजादी में दखल नहीं है. मामले की सुनवाई अप्रैल से लेकर अगस्त तक में कुल 32 दिन तक चली. इस मामले पर सुप्रीम ने 15 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था. 22 साल पुराने कॉलेजियम सिस्टम की जगह एनजेएसी आया था.

5. कॉलेजियम सिस्टम में चीफ जस्टिस समेत 6 सदस्य होते हैं. इसमें सीजेआई के 2 वरिष्ठतम सहयोगी, कानून मंत्री और 2 सदस्य शामिल होते हैं. इन 2 सदस्यों का चुनाव सीजेआई, पीएम और विपक्ष के नेता की कमेटी करती है. नए कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन और दूसरे लोगों ने दलील दी थी कि जजों के सिलेक्शन और अप्वाइंटमेंट का नया कानून गैरसंवैधानिक है. इससे ज्यूडिशरी के फ्रीडम पर असर पड़ेगा. जानेमाने वकील फली नरीमन, अनिल दीवान और राम जेठमलानी ने NJAC बनाए जाने के खिलाफ तर्क दिए थे.

Advertisement
Advertisement