लंदन में सोमवार को एक साइबर एक्सपर्ट ने दावा किया कि भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को हैक किया जा सकता है. उसने यह भी कहा कि पिछले आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ईवीएम का दुरुपयोग कर सत्ता में आई. सैयद शुजा नाम के इस कथित हैकर ने हालांकि बीजेपी के अलावा अन्य कई पार्टियों पर आरोप लगाए और कहा कि सपा, बसपा जैसी पार्टियां भी इसमें शामिल रही हैं. भारतीय निर्वाचन आयोग (EC) ने शुजा के इस दावे का पुरजोर खंडन किया और कहा कि भारत की ईवीएम बिल्कुल सुरक्षित है. आयोग ने कहा है कि शुजा के आरोपों की छानबीन की जा रही है और उनपर कानूनी कार्रवाई पर भी विचार हो रहा है.
यह पहला मौका नहीं है जब भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर दोष मढ़ा गया. हालांकि देश से बाहर यह पहला मौका जरूर था जब बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बताया गया कि ईवीएम टैंपरिंग आसान है और पहले होता रहा है. विदेशी धरती पर घटित इस वाकये ने तब और विवाद खड़ा कर दिया जब उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे कपिल सिब्बल मौजूद दिखे. बीजेपी ने इसे साजिश करार दिया और कहा कि कांग्रेस अपने 'फ्रीलांसर' हमेशा तैयार रखती है, यहां तक कि पाकिस्तान में भी मोदी सरकार के खिलाफ लोग भेजे जाते हैं. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने लंदन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कपिल सिब्बल की मौजूदगी पर यहां तक कह डाला कि उन्हें सोनिया और राहुल गांधी ने भेजा है.
बीते दिन का वाकया कई कड़ियों में एक नई कड़ी रही जब निर्वाचन आयोग को एक बार फिर 'सवालों का सामना करना पड़ा लेकिन EC हमेशा से दावा करता आया है कि ईवीएम फूलप्रूफ है और इसकी सुरक्षा में कोई सेंधमारी नहीं कर सकता. आयोग ने यह भी चुनौती दी है कि कोई आगे आए और ईवीएम टैंपरिंग करके दिखाए. एक-दो मौके आए जब नेताओं और पार्टियों ने ईवीएम को 'कठघरे' में खड़ा किया लेकिन नतीजा शून्य रहा. आइए जानते हैं कब-कब ईवीएम पर सवाल उठे और इन सभी सवालों का ईवीएम ने कैसे दिया जवाब...
आडवाणी का सवाल और बीजेपी की जीत
लालकृष्ण आडवाणी देश के नामचीन नेताओं में एक हैं और बीजेपी के अग्रणी पुरोधाओं में उनका नाम है. 2009 में उनके एक बयान ने भूचाल मचा दिया कि चुनाव आयोग जब तक ईवीएम की सुरक्षा की पूरी गारंटी नहीं लेता, देश में बैलेट पेपर से ही चुनाव कराए जाने चाहिए. उन्होंने महाराष्ट्र और तीन अन्य प्रदेशों में बैलेट पेपर से मतदान कराए जाने की मांग की.
यह पहला मौका था जब किसी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने ईवीएम के खिलाफ खुलकर बयान दिया. उस वक्त आडवाणी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थे. कांग्रेस सरकार में थी इसलिए उसका तर्क लाजिमी था जैसा तर्क आज बीजेपी देती है. कांग्रेस ने आडवाणी के आरोपों को खारिज किया और ईवीएम से चुनाव कराए जाने पर हामी भरी.
आडवाणी के आरोपों के बाद भी ईवीएम अपनी परीक्षा में कामयाब रही और 2014 का चुनाव निष्पक्ष ढंग से संपन्न कराया गया. मजे की बात यह है कि 2009 के आरोपों के बाद 2014 में बीजेपी घनघोर बहुमत से सत्ता में आई और इतिहास में रिकॉर्ड दर्ज हो गया. उसके बाद बीजेपी ने इस आरोप से पल्ला झाड़ा और आज हालत यह है कि आडवाणी ने उस वक्त जो आरोप लगाया था, कांग्रेस आज उन्हीं बातों पर बीजेपी को घेर रही है. बहरहाल, बीजेपी-कांग्रेस की इस तूतू-मैंमैं में ईवीएम मजबूती से खड़ी रही और आज भी लोगों का भरोसा इस पर कायम है.
मध्य प्रदेश चुनाव और कांग्रेस
हाल में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव संपन्न हुए और कांग्रेस ने विजय हासिल की. मतदान संपन्न होने के बाद प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जिस स्ट्रॉन्ग रूम में ईवीएम मशीनें रखी गईं वहां अचानक बिजली गई. लिहाजा यह ईवीएम से टैंपरिंग का मामला हो सकता है. घटना भोपाल जेल की है. भोपाल के कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 30 नवंबर को सवा आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक बिजली गई थी और इस दौरान सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग दर्ज नहीं हुई. हालांकि टैंपरिंग के इस आरोप पर चुनाव आयोग आगे आया और उसने वैकल्पिक व्यवस्था की सारी जानकारी दी. मतदान हुए और रिजल्ट कांग्रेस के पक्ष में आया. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस की जीत के बाद ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोप कहीं गुम हो गए और अब कहीं सुनने में भी नहीं आते.
AAP ने भी लिया EVM का टेस्ट
यूपी में विधानसभा चुनाव हुए लगभग दो साल हो गए. उस चुनाव में बीजेपी जबर्दस्त सीटों से जीती और लगभग सभी पार्टियों कुछ सीटों पर सिंट गईं. इसका सबसे ज्यादा ठीकरा ईवीएम पर फूटा और इसमें सबसे आगे रही आम आदमी पार्टी. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसे व्यक्तिगत लड़ाई माना और आयोग के खिलाफ मैदान में उतर गए. केजरीवाल का आरोप इसलिए भी था क्योंकि उनकी पार्टी पंजाब और गोवा में बुरी तरह हार गई थी. केजरीवाल ने चुनाव आयोग के खिलाफ काफी तीखी टिप्पणी की और उसे बीजेपी का एजेंट करार दिया. उनका कहना था आयोग बीजेपी के लिए काम करता है. हालांकि इन आरोपों पर आयोग ने सिर्फ इतना ही कहा कि ईवीएम फूलप्रूफ है और चुनाव आयोग अपना काम ईमानदारी से करता है.
दिलचस्प वाकया यह भी रहा कि केजरीवाल के एक विधायक सौरभ भारद्वाज खुलेआम यह ऐलान करते और डेमो देते दिखे कि ईवीएम को कैसे हैक कर सकते हैं. हालांकि आयोग ने यह चैलेंज स्वीकारा और उन पार्टियों को आमंत्रित किया जिन्होंने हैक करने का दावा किया था. नतीजा यह रहा कि किसी भी पार्टी ने आयोग का न्योता स्वीकार नहीं किया.