दिल्ली में एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ आपराधिक हमले अकसर उनके प्रति ‘नकारात्मक धारणाओं’ के चलते होते हैं और उन्होंने इन धारणाओं को त्यागने का आह्वान किया.
राष्ट्रपति ने मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के नौवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार स्थिति के प्रति सतर्क है तथा यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो.
उन्होंने कहा, ‘मैं बहादुर लड़की के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं. समाज के कुछ तत्वों द्वारा महिलाओं के खिलाफ पैदा की जा रही और फैलायी जा रही नकारात्मक धारणा की पृष्ठभूमि में महिलाओं के खिलाफ आपराधिक हमले हो रहे हैं. इसका अंत होना चाहिए.’
घटना पर अपनी गहरी हताशा जताते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘हमें समाज के प्रत्येक सदस्य के मन में महिलाओं के लिए बेहद सम्मान पैदा करना होगा और देश के युवाओं को इस क्षेत्र में पहल करनी होगी.’
उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि वह इस वीभत्स घटना को लेकर युवाओं की ‘जायज गुस्सा’’ की सराहना करते हैं.
उन्होंने युवाओं को याद दिलाया कि तर्क को ताक पर नहीं रख दिया जाना चाहिए. उन्हें अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखना चाहिए तथा शांतिपूर्ण ढंग से स्थिति का सामना करना चाहिए.
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, ‘हिंसा समाधान नहीं है.’
मुखर्जी ने दिल्ली पुलिस के सिपाही की मौत पर भी शोक जताया जिसकी मौत रविवार को हुई हिंसा में घायल हो जाने के कारण हुई.
उन्होंने कहा, ‘मैं युवा जीवन के नुकसान पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं जिसकी जान कर्तव्य निभाते हुए गयी. मैं मृतक के परिवार की पीड़ा को समझ सकता हूं.’
राष्ट्रपति ने अपने क्रिसमस संदेश में लड़की के सामूहिक बलात्कार का उल्लेख किया और पीड़िता के शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना की.
दक्षिणी दिल्ली में 16 दिसंबर को चलती में 23 वर्ष की युवती के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था. इस घटना के विरोध में विरोध प्रदर्शनों की लहर शुरू हो गयी जिससे राजधानी में आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ.