भारत के चुनाव आयोग ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स के चुनावों के दौरान राजनीतिक इस्तेमाल के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. ये गाइडलाइन चुनावी आचार संहिता का हिस्सा होंगी. चुनावी मैदान में उतरने वाले हर राजनीतिक दल के प्रत्याशी को अपने आधिकारिक फेसबुक, ट्विटर और ऐसे ही दूसरे अकाउंट्स से जुड़ी जानकारी और गतिविधियों के बारे में चुनाव आयोग को पूरा ब्यौरा देना होगा.
यही नहीं, आयोग अपनी तरफ से भी इन अकाउंट्स पर नजर रखेगा. प्रत्य़ाशियों को अपना नामांकन पत्र भरते समय ही अपने टेलीफोन और मोबाइल नंबर के साथ ईमेल आईडी और सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी देनी होगी. इसके अलावा चुनावी खर्च में भी सोशल मीडिया पर किए खर्च को जोड़ना होगा.
अभी तक सिर्फ टीवी रेडियो जैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और अखबारों में विज्ञापन या फिर पोस्टर होर्डिंग पर्चे जैसे माध्यमों पर किए गए खर्च की जानकारी उम्मीदवार को देनी होती थी. लेकिन अब राज्य और जिला स्तर पर बनाई गई निगरानी कमेटियां प्रचार के इन नए साइबर माध्यमों पर भी गहराई से नजर रखेंगी.
साथ ही खुफिया तौर पर मिलने वाली जानकारी की तहकीकात कर उम्मीदवारों से जवाब मांगेगी. ये कमेटी पेड न्यूज पर भी आयोग की तरफ से निगरानी रखेगी.
ये साइट्स होंगी निगरानी में
1 फेसबुक, इस पर की गई पोस्ट और कमेंट्स
2 ट्विटर और ब्लॉगिंग से जुड़ी दूसरी साइट्स
3 वीडियो शेयरिंग साइट यू ट्यूब
4 वर्चुअल गेम्स खिलवाने वाली एेप्स
5 सामूहिक भागीदारी वाली साइट्स, मसलन विकीपीडिया