आतंकी डेविड हेडली के अमेरिका से प्रत्यर्पण की कठिन प्रक्रिया को देखते हुए भारत उस तक अपने जांचकर्ताओं की सीधी पहुंच के लिए दवाब डालेगा.
सरकार के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि मुंबई हमले में अपनी संलिप्ता स्वीकार करने वाले 49 साल के पाकिस्तानी अमेरिकी हेडली का प्रत्यर्पण एक कठिन प्रक्रिया है और भारतीय जांचकर्ताओं की तात्कालिक प्राथमिकता आतंकी साजिश के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उस तक सीधी पहुंच बनाना है.
भारतीय जांचकर्ताओं का विश्वास है कि विधि माध्यमों से हेडली तक पहुंचा जा सकता है क्योंकि वह अदालत की निगरानी में है. हेडली और अमेरिकी सरकार के बीच हुए सजा कम कराने के लिए जुर्म कबूल करने के समझौते के मुताबिक भारत रूबरू, वीडियो कांफ्रेंसिंग या अनुरोध पत्र के माध्यम से हेडली से पूछताछ कर सकता है. सूत्रों ने बताया कि भारत तीनों के बारे में पता लगाएगा.
सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रहमण्यम ने सरकार को कड़ा रुख अपनाने ओर प्रत्यर्पण से कम में कोई भी समाधान नही करने का आग्रह किया है. उन्होंने दलील दी है कि यह समझौता एक अंतरराष्ट्रीय संधि का विकल्प नही बन सकता. अमेरिका ने हालांकि हेडली के प्रत्यर्पण से इनकार किया है और यह साफ किया कि भारत को उस तक सीधी पहुंच देने के बारे में अब तक कोई फैसला नही लिया गया है.
अमेरिकी हिरासत में बंद हेडली तक सीधी पहुंच के लिए तिथि तय करने को लेकर गृह मंत्रालय जल्द ही अमेरिकी न्याय मंत्रालय को एक खत लिखेगा. गृह मंत्री पी चिदम्बरम और शीर्ष अधिकारियों द्वारा लिखा जाने वाला यह खत अगले कुछ दिनों में तैयार कर लिया जाएगा. इस पत्र में मंत्रालय अमेरिकी अधिकारियों को बताएगा कि भारतीय जांचकर्ताओं की एक टीम तैयार है और अमेरिका से मंजूरी मिलने के बाद यह वहां जा सकती है.
मामले की जांच कर रहा राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी सीधी पहुंच होने के बाद ही उसके खिलाफ आरोप-पत्र दायर करेगी. हेडली ने पिछले हफ्ते सभी 12 आतंकी आरोपों में अपना दोष कुबूल किया था जिसमें भारत में कई स्थानों पर बम विस्फोट की साजिश में शामिल होना भी है. उसे पिछले साल अक्टूबर में एफबीआई ने गिरफ्तार किया था.