अमेरिका द्वारा डेविड हेडली को भारत को सौंपे जाने से इंकार किये जाने के बीच सालिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम ने सरकार से इस मामले में दृढ़ता से कदम उठाने और उसके प्रत्यर्पण के अलावा किसी अन्य बात पर सहमत नहीं होने को कहा है. सुब्रह्मण्यम ने दलील दी है कि अपराध कम करने के लिए किया गया समझौता यानी प्ली बारगेन अंतरराष्ट्रीय संधि का विकल्प नहीं बन सकता.
सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय ने हेडली मामले में सुब्रह्मण्यम की सलाह मांगी थी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका लश्करे तैयबा के आतंकी को सौंपने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि अंतरराष्ट्रीय परंपराओं के अनुसार दोनों देशों के लिए बाध्य है.
सुब्रह्मण्यम ने गृह मंत्रालय अधिकारी के साथ मंगलवार रात मुलाकात की. उन्होंने कहा कि प्ली बारगेन की दलील अंतरराष्ट्रीय प्रत्यर्पण संधि का विकल्प नहीं बन सकती क्योंकि संधि को हमेशा घरेलू कानूनों की तुलना में तरजीह दी जाती है.
उन्होंने सरकार को सलाह दी कि हेडली के भारत में प्रत्यर्पित होने के बाद उससे व्यापक पूछताछ करनी चाहिए ताकि उससे पुख्ता सबूत एकत्र किये जा सके. इसके जरिये उसके खिलाफ भारत में अभियोजन चलाया जा सके जो अमेरिका में चलायी जा रही कार्रवाई से स्वतंत्र होगा. 49 वर्षीय हेडली ने भीषण मुंबई हमले की साजिश रचने की बात कबूल की है.