टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि कपिल देव की कप्तानी में भारत-पाकिस्तान के बीच एक मैच से पहले दाऊद इब्राहिम ने महंगे गिफ्ट का ऑफर दिया था पर कपिल देव ने उसे डांट कर भगा दिया था.
वेंगसरकर ने जलगांव में कार्यक्रम के दौरान कहा, 'दाऊद ने कहा था कि अगर आप लोग ये मैच जीतते हो तो मैं आपको टोयटा कार दूंगा. इस ऑफर को टीम ने ठुकरा दिया था.'
वहीं, दिलीप वेंगसरकर के इस खुलासे को कपिल देव ने पूरी तरह से खारिज नहीं किया है. हालांकि उनकी कहानी वेंगसरकर से थोड़ी अलग है. कपिल देव के आज तक को बताया, 'मुझे याद है कि 1987 में शारजाह स्टेडियम में खेले जा रहे भारत-पाक मैच के पहले एक शख्स ड्रेसिंग रूम में आया था. वह टीम के खिलाड़ियों से बात करना चाहता था पर मैंने मना कर दिया. क्योंकि ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन के सदस्यों के अलावा किसी और शख्स को आने की इजाजत नहीं थी. उसने मेरी बात मान ली और ड्रेसिंग रूम से चला गया. बाद में मुझसे किसी ने बताया कि वह मुंबई का एक स्मगलर है और उसका नाम दाऊद इब्राहिम है. इसके अलावा कुछ भी नहीं हुआ.'
वेंगसरकर के खुलासे पर कपिल देव ने कहा, 'मुझे खिलाड़ियों को टोयटा कार दिए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. अगर दिलीप वेंगसरकर आज ऐसा कह रहे हैं तो शायद उन्हें मुझसे ज्यादा जानकारी होगी.'
बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले ने भी किया था ऐसा ही खुलासा
आपको बता दें बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले ने भी अपनी किताब "I was There - Memoirs of a Cricket Administrator' में ऐसी ही घटना का जिक्र किया था. उन्होंने टोयटा कार के ऑफर का जिक्र किया था. उन्होंने लिखा था, 'अगर टीम इंडिया आज चैंपियन बनती है तो मैं हर खिलाड़ी के टीम प्रबंधन के सदस्यों को भी टोयटा कार गिफ्ट दूंगा. वो भी भारत में.' दाऊद ने ये बातें लेले और टीम के मैनेजर दयानेश्वर अगाशे से कही थीं. लेले के मुताबिक, 'शायद किस्मत को ये नहीं मंजूर था. भारत टूर्नामेंट हार गया. बेहतर रन रेट के आधार पर ऑस्ट्रेलिया को चैंपियन घोषित किया गया क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत के प्वाइंट बराबर थे. परिणाम घोषित किए जाने के बाद ज्यादातर खिलाड़ी निराश नहीं थे, पर वह शख्स था.'
जयवंत लेले ने आगे लिखा है, 'लंबे समय के बाद हमें पता चला कि हम जिस शख्स से 1987 में शारजाह में मिले थे वह दाऊद इब्राहिम था जो 1993 मुंबई ब्लास्ट का मास्टर माइंड है. यह बात तब सामने आई जब पुलिस ने इस संदर्भ में मुझसे पूछताछ की. मैं चौंक गया था. पूरी तरह से टूट गया. हालांकि, मैंने खुलकर पुलिस को बताया कि उस शख्स से जब मेरी मुलाकात हुई थी तो उसके बारे में मैं कुछ नहीं जानता था. यहां तक की उसका नाम भी हमें नहीं मालूम था. मैंने जोर देकर कहा कि यह मेरी उस शख्स से पहली और आखिरी मुलाकात थी और मैं उस वाक्ये को पूरी तरह से भूल गया हूं. मैं तो अब उसे पहचान भी नहीं सकता. खुशनसीब हूं कि पुलिस ने मुझपर भरोसा किया.'