प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश का संविधान बदलने की कोई सोच नहीं सकता. उन्होंने कहा कि संविधान बदलने की सोचना भी आत्महत्या करने जैसा होगा.
लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यह देश अनेक शख्सियतों और सरकारों की बदौलत आगे बढ़ा है. उन्होंने कहा कि कोई भी यह नहीं कह सकता कि किसी सरकार ने कुछ नहीं किया.
'संविधान में सबको बांधने की ताकत'
पीएम मोदी ने कहा कि देश के संविधान में हम सबको बांधने की ताकत है. उन्होंने कहा कि संविधान के जरिए ही सबकी तरक्की का रास्ता खुलता है.
'26 नवंबर एेतिहासिक तारीख'
26 नवंबर, 1949 का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह इतिहास की एक अहम तारीख है. मोदी ने कहा कि सदन में संविधान का महत्व काफी प्रभावी ढंग से रखा गया. उन्होंने कहा कि सांसदों ने एकमत से चर्चा का समर्थन किया.
It must have been difficult to form a Constitution for a nation as diverse as India, says PM in LS. pic.twitter.com/hMdyOhMpwI
— ANI (@ANI_news) November 27, 2015
'बाबा साहब ने सारे जहर को पी लिया'
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के त्याग और परिश्रम का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'बाबा साहब ने सारे जहर को पी लिया और हमारे लिए अमृत छोड़ गए. उन्होंने अपने जीवन में अनके यातनाएं झेलीं.'
Baba Saheb Ambedkar ne saara zeher piya aur hamaare liye Amrit chhod gaye-PM Modi
— ANI (@ANI_news) November 27, 2015
'संविधान में एकता, मर्यादा का भाव'
भारतीय संविधान की अहमियत का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस दस्तावेज में देश की एकता और मर्यादा का भाव है. उन्होंने कहा कि हम सबका रास्ता सहमति का होना चाहिए.
'सरकार का एक ही धर्म- इंडिया फर्स्ट'
असहिष्णुता को लेकर देशभर में छिड़ी बहस के बीच पीएम मोदी ने कहा, 'सरकार का एक ही धर्म है- इंडिया फर्स्ट, सरकार का एक ही धर्मग्रंथ है- भारत का संविधान.'
'सर्वपंथ समभाव' आइडिया ऑफ इंडिया
'सर्वपंथ समभाव' को आइडिया ऑफ इंडिया बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें यह भाषा, वह भाषा, यह भूभाग, वह भूभाग की बातों से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गों और जन-जन को साथ लेकर राष्ट्र को मजबूत बनाना है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश संविधान के अनुसार चला है और आगे भी संविधान के अनुसार ही चलेगा. लोकसभा में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर दो दिवसीय विशेष चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘यह भ्रम फैलाया जा है कि संविधान बदलने के बारे में सोचा जा रहा है. न कभी कोई संविधान बदलने के बारे में सोच सकता है. मैं समझता हूं कि कोई ऐसा सोचेगा, तब वह आत्महत्या करेगा.’
पीएम का बयान काफी अहम
संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के साथ जोड़े गए सेक्युलर शब्द पर सवाल उठाए जाने के बीच प्रधानमंत्री का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है. गौरतलब है कि गुरुवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस चर्चा में भाग लेते हुए सेक्युलर शब्द पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इसका सबसे अधिक राजनीतिक दुरुपयोग हो रहा है. इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इस शब्द या उसकी व्याख्या बदलना चाहती है.
संविधान बदलने की बात को भ्रम बताते हुए मोदी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि दलितों, शोषितों और पीड़ितों के भाग्य को कैसे बदला जाए, इस बात पर होना चाहिए.’
संविधान की पवित्रता कायम रखना सबकी जिम्मेदारी
मोदी ने कहा कि संविधान की पवित्रता बनाए रखना हम सबका दायित्व और जिम्मेदारी है, हमें अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक करने की बजाए सर्वानुमति बनाने पर जोर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि आखिरी चीज अल्पमत और बहुमत से बनती है, लेकिन लोकतंत्र में ज्यादा ताकत तब बनती है, जब हम सहमति से चलें. सहमति नहीं बनने पर अल्पमत या बहुमत की बात आती है, लेकिन यह अंतिम विकल्प होना चाहिए, जब सहमति बनाने के हमारे सारे प्रयास विफल हो जाएं.