पिछले साल 16 दिसंबर को वसंत विहार में गैंगरेप के चलते जान गंवाने वाली ज्योति को पूरा इंसाफ दिलाने के लिए उसके माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. ज्योति के माता-पिता ने कोर्ट से अपील की है कि इस जघन्य अपराध के नाबालिग मुजरिम के खिलाफ भी सामान्य आपराधिक मामला चलाया जाना चाहिए.
ज्योति के माता-पिता ने कहा है कि ऐसे घिनौने कृत्य को अंजाम देने वालों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का कवच ठीक नहीं है. उस घटना के बाद भी ऐसे गंभीर और अमानवीय कृत्यों में नाबालिगों की भागीदारी बढ़ती ही जा रही है. हालांकि कानून के जानकारों को भी उत्सुकता है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर क्या कदम उठाता है, क्योंकि इस मामले में जेजे एक्ट की बंदिश भी है.
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को वसंत विहार गैंगरेप मामले में नाबालिग मुजरिम के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने की याचिका पर सुनवाई कर सकता है. पीड़ित युवती के माता-पिता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि नाबालिग मुजरिम का जुर्म जब बड़े लोगों से भी ज्यादा संगीन है तो उसे सजा कम क्यों? हालांकि इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की बड़ी ढाल मुजरिम के साथ है और कानून के जानकार मानते हैं कि याचिका पर ज्यादा कुछ होने की गुंजाइश नजर नहीं आती.
पूर्व सॉलिसीटर जनरल अमरेंद्र शरण ने कहा, 'इसमें कुछ किया नहीं जा सकता, क्योंकि कानून संसद बनाती है और अदालतें सिर्फ उसका पालन करने के लिए निर्देश जारी करती हैं. जुवेनाइल एक्ट संसद ने ही बनाया है. ये अलग बात है कि ये मामला दुर्भाग्यपूर्ण था और जुवेनाइल उम्र घटाकर 16 साल करनी चाहिये. चाहे कुछ संगीन अपराधों में मामले में ही हो.'
हालांकि कानून के ही कुछ जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं, जिनके तहत कुछ हटकर कदम उठाये जा सकते हैं.
जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बी. ए. खान (रिटायर्ड) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को पावर तो है ये तय करने का, लेकिन ये देखना होगा कि कोर्ट इसमें क्या कदम उठाता है.
मुमकिन है याचिकाकर्ता सोमवार को चीफ जस्टिस की बेंच के सामने इस मामले का उल्लेख करें. ऐसे में इस याचिका को लेकर चल रहे ऊहापोह से पर्दा हट जाएगा और कोर्ट का रुख भी साफ हो जाएगा.