भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राफेल डील को लेकर सोमवार को राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा पर निशाना साधा. पार्टी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी साजिश के तहत इस डील को रद्द कराना चाहते हैं, ताकि गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के दोस्त संजय भंडारी को व्यावसायिक फायदा पहुंचाया जा सके.
बीजेपी की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 'राहुल गांधी देश को गुमराह कर रहे हैं. जो झूठ फैलाया जा रहा है, उसके पीछे रॉबर्ट वाड्रा और उनके बिजनेस पार्टनर संजय भंडारी का व्यावसायिक हित है. राहुल गांधी और उनकी पार्टी को इसका जवाब देना चाहिए कि क्या देश हथियारों के किसी दलाल की व्यावसायिक हितों के लिए समझौता करेगा.'
Sanjay Bhandari ki company aur Robert Vadra ki company ko UPA bicholiye ke taur par istemal karna chahti thi. Jab yeh nahi ho saka tab aaj Congress is deal ko khatam karke uska badla lena chahti hai: Union Minister & BJP leader Gajendra Singh Shekhawat on #Rafale pic.twitter.com/reswoTbaSa
— ANI (@ANI) September 24, 2018
मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान जो डील कैंसिल हुई थी, उसके पीछे खास वजह यह थी. रॉबर्ट वाड्रा बिचौलिया बनना चाहते थे, लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाया, और इसलिए यूपीए शासन के दौरान यह डील रद्द हुई. आज भी इसकी कोशिश जारी है. शेखावत का कहना है कि राबर्ट वाड्रा और भंडारी डिफेंस एक्सपो में दुबई में साथ देखे गए थे. यूपीए सरकार चाहती थी कि यह डील रॉबर्ट वाड्रा के जरिए होनी चाहिए, ताकि उन्हें फायदा हो.
गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और राहुल गांधी के बीच सांठगांठ है. राहुल गांधी संयुक्त जांच समिति गठित करने की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सुरक्षा से जुड़े जो गोपनीय तथ्य हैं वो उजागर हो जाएं. यह सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा.
जांच समिति बनाने की मांग
गौरतलब है कि राफेल सौदे में कथित घपले को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज करते हुए कांग्रेस सोमवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) पहुंची. कांग्रेस ने अयोग से जांच और प्राथमिकी (एफआईआर) के साथ-साथ सौदे से संबंधित जरूरी दस्तावेजों को जब्त करने की मांग की. कांग्रेस का आरोप है कि इस सौदे से राजकोष को भारी घाटा पहुंचा है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीवीसी के.वी. चौधरी से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में दावे के साथ कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित सौदा करीब 300 फीसदी की बढ़ी कीमत पर किया गया है और सौदे में रक्षा प्रबंध नीति (डीपीपी) का उल्लंघन किया गया है.