राफेल डील पर मचे सियासी घमासान के बीच केंद्र सरकार ने इस मामले में कांग्रेस पर पलटवार किया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जेपीसी जांच की मांग पर सरकार सहमत होती नहीं दिख रही है. सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में जेपीसी गठित करने का सवाल ही नहीं उठता है.
सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस मामले को सीवीसी (CVC) और कैग (CAG) देख रहे हैं. ऐसे में जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) गठित करने का सवाल नहीं उठता है. सिर्फ इतना ही नहीं, सरकार ने राफेल डील के मुद्दे पर कांग्रेस पर पलटवार भी किया है. सरकार का कहना है कि राफेल डील के खिलाफ कांग्रेस के दुष्प्रचार के पीछे वो विदेशी कंपनियां हो सकती हैं, जो ये डील हासिल करने में सफल नहीं रही हैं.
सरकार के सूत्रों का कहना है कि यूपीए सरकार के दौरान भी HAL के साथ समझौता नहीं हो पाया था, जबकि उस कंपनी से कई सालों तक बातचीत चलती रही. यहां तक कि दसॉ कंपनी ने भी इस मसले पर बातचीत की थी. लेकिन दसॉ और HAL के बीच बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी.
सूत्रों ने ये भी बताया कि दसॉ कंपनी रिलायंस के साथ मिलकर तय करेगी कि वो क्या करेगी और उसे क्या उत्पादन करना है. भारत सरकार यह तय नहीं करती है.
सरकारी सूत्रों की तरफ से ये भी कहा गया है कि कैग (CAG) और सीवीसी (CVC) पहले से ही इस मामले को देख रही है, ऐसे में जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) का सवाल ही नहीं उठता.
रक्षा मंत्री ने दिया बयान
वहीं, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण इस मसले पर सार्वजनिक तौर पर कहा है कि राफेल पर कांग्रेस की दुष्प्रचार की पोल खोली जाएगी. उन्होंने कांग्रेस के आरोपों की परवाह न होने की बात कहते हुए ये भी दावा किया कि इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय ताकतें हो सकती हैं.
सरकार की तरफ से ये जानकारी ऐसे वक्त में साझा की गई है, जबकि कांग्रेस के एक डेलीगेशन इस मसले को लेकर आज ही सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयुक्त) से मुलाकात की. जिसमें कांग्रेस ने राफेल डील को रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए इस इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. जबकि इससे एक हफ्ता पहले कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल कैग से भी मुलाकात कर मामले में एक्शन की मांग कर चुका है.