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उत्तराखंड में बर्बादी के बाद दहशत का कहर, खतरे के निशान के करीब भागीरथी

उत्तराखंड में कुदरत का कहर जारी है. राज्‍य में नदियां उफान पर हैं और यहां के उत्तरकाशी में भागीरथी का जलस्‍तर खतरे के निशान के करीब है. भागरीथी का जल स्‍तर बढ़ने से स्‍थानीय निवासियों में बाढ़ का खौफ छा गया है वे अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं.

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Uttarakhand Floods
Uttarakhand Floods

उत्तराखंड में कुदरत का कहर जारी है. राज्‍य में नदियां उफान पर हैं और यहां के उत्तरकाशी में भागीरथी का जलस्‍तर खतरे के निशान के करीब है. भागरीथी का जल स्‍तर बढ़ने से स्‍थानीय निवासियों में बाढ़ का खौफ छा गया है वे अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं.

उधर, उत्तराखंड के मौसम में सुधार के साथ ही बाढ़ पीड़ितों के बचाव कार्यों में आज तेजी आ गई. राज्य में तमाम जगहों पर फंसे लोगों को निकालने के लिए 17 हेलीकॉप्टर भेजे गए हैं.

महामारी फैलने का खतरा कम करने के लिए बहुत तेजी से काम किया जा रहा है. बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ में शवों के सामूहिक अंतिम संस्कार का कार्य जारी है.

अधिकारियों ने बताया कि मौसम साफ होते ही हेलीकॉप्टर राज्य के विभिन्न स्थानों में फंसे 1,237 लोगों को बचाने के लिए सुबह रवाना हो गए. हषिर्ल सेक्टर में अब कोई तीर्थयात्री नहीं है. करीब 3000 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि उनका ध्यान अब बद्रीनाथ धाम इलाके पर है जहां गए अधिकतर तीर्थयात्री फंसे हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि जोशीमठ-बद्रीनाथ, रद्रप्रयाग-गौरीकुंड और उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्गों को छोड़कर सभी मुख्य मार्गों को फिर से खोल दिया गया है जिससे लोगों को तेजी से बाहर निकालने की उम्मीद बढ़ी है.

थल सेना प्रमुख बिक्रम सिंह राहत कार्यों की समीक्षा करने और गौरीकुंड के निकट मंगलवार को हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देने आज सुबह गोचर पहुंचे.

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केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे भी बचाव कार्यों के दौरान अपने जीवन का बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि देने के लिए देहरादून पहुंचने वाले हैं. एक आधिकारिक अनुमान के अनुसार राज्य के विभिन्न हिस्सों में 1237 लोग अब भी फंसे हुए है. अब तक 1,04,687 लोगों को सड़क और हवाई मार्ग के जरिए विभिन्न स्थानों से बाहर निकाल लिया गया है.

केदारनाथ घाटी में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार का कार्य जारी है. अब तक 34 शवों की पहचान करने और डीएनए संरक्षित करने जैसी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जा चुका है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सभी जि़ला मजिस्ट्रटों ने पीड़ित लोगों को जरूरी राहत सामग्री बांटना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही उनके लिए मिट्टी का तेल और एलपीजी सिलेंडर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी कोशिश की जा रही है. उन्‍होंने बताया कि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को हुई क्षति का आंकलन किया जा रहा है और बहाली का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है.

तीर्थयात्रियों को उनके घर तक पहुंचाने में मदद करने के लिए तमाम रेलगाड़ियों में विशेष कोच लगाए गए हैं. राज्य की सरकारी वेबसाइट ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट यूके डॉट जीओवी डॉट इन’ पर बाढ पीड़ितों और लापता लोगों संबंधी जानकारी मुहैया कराई जा रही है ताकि उनके संबंधियों को उनकी वास्तविक जानकारी मिल सके.

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अधिकारियों ने बताया कि अनुमानित 3000 लोग लापता है और उनका पता लगाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं. सरकारी वेबसाइट पर लापता लोगों की जानकारी और फोटो अपलोड की जा सकती है जिससे अधिकारियों को उनका पता लगाने में मदद मिलेगी.

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