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2जी- धीमी जांच पर न्यायालय असंतुष्‍ट

2जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले से जुड़े कर चोरी के मामलों में कारपोरेट लाबीस्ट नीरा राडिया और अन्य के खिलाफ आयकर विभाग की जांच की धीमी रफ्तार की उच्चतम न्यायालय ने तीखी आलोचना करते हुए विभाग को रफ्तार तेज करने और इन मामलों को ‘साधारण रूप’ से नहीं लेने का निर्देश दिया.

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2जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले से जुड़े कर चोरी के मामलों में कारपोरेट लाबीस्ट नीरा राडिया और अन्य के खिलाफ आयकर विभाग की जांच की धीमी रफ्तार की उच्चतम न्यायालय ने तीखी आलोचना करते हुए विभाग को रफ्तार तेज करने और इन मामलों को ‘साधारण रूप’ से नहीं लेने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति ए.के. गांगुली की पीठ ने आयकर विभाग की पहली रिपोर्ट में वर्णित लेन-देन के आंकड़ों को ‘दिमाग चकराने वाला’ बताते हुए कहा कि ‘हमने अपनी जिंदगी में इतने शून्य’ कभी नहीं देखे थे.

पीठ ने कहा, ‘आयकर विभाग को अवश्य ही तेजी बरतनी चाहिए. यह कर चोरी का सामान्य मामला नहीं है. इसे तेजी से किया जाना चाहिए. यह कोई आम मामले नहीं हैं जिन्हें सामान्य तरीके से निबटाया जाए.’ उल्लेखनीय है कि पीठ ने एक मुहरबंद लिफाफे में रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद यह बात कही.

अदालत ने 13 मई तक मुकम्मल रिपोर्ट दाखिल करने का विभाग को निर्देश जारी करते हुए कहा, ‘हम पिछले तीन साल के दौरान आपकी तरफ से की गई कार्रवाई की मुकम्मल रिपोर्ट देखना चाहेंगे जब विभाग ने (राडिया के खिलाफ दायर) शिकायत पर जांच शुरू की थी. हम देखेंगे कि जब हमने (2जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाला) मामले की निगरानी शुरू की तो आपने क्या किया.’

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आयकर विभाग ने बचाव करते हुए कहा कि जारी जांच ‘पांचवे चरण’ में पहुंच गई है और मामले के प्रति उसका रुख सुस्ती भरा नहीं है. बहरहाल, अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई. उसने कहा, ‘हम चरण को लेकर नहीं बल्कि परिणामों को लेकर चिंतित हैं.’

पीठ ने रिपोर्ट में वर्णित लेनदेन के आकार पर हैरत जताते हुए कहा कि, ‘आंकड़े दिमाग को चकराने वाले हैं.’ पीठ ने कहा, ‘हमने अपनी जिंदगी में कभी इतने शून्य नहीं देखे. यहां जो उल्लेख किया गया है उसका आधा भी नहीं, स्कूल के गणित के क्लासों के सिवा.’

पीठ ने आयकर विभाग को 2जी मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज से संपर्क करने की अनुमति दे दी ताकि घोटाले में कथित भूमिका के लिए न्यायिक हिरासत में भेजे गऐ अधिकारियों से पूछताछ की जा सके.

याचिकाकर्ता ‘सेंटर फॉर पब्लिक इन्टरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) ने एक याचिका दायर कर 2जी मामले में विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच की निगरानी करने में न्यायालय की सहायता करने के लिए दो स्वतंत्र व्यक्तियों की नियुक्ति करने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि ‘बड़े खिलाड़ियों को बख्शा जा रहा है.’

पीठ ने सीपीआईएल की याचिका पर सुनवाई करने के लिए भी सहमति जताई. साथ ही याचिकाकर्ताओं सीपीआईएल और अन्य को पीठ ने यह आश्वासन भी दिया कि घोटाले से जुड़े सभी लोगों को न्याय के दायरे में लाया जाएगा चाहे वह कोई भी हों.

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बहरहाल, पीठ ने कहा कि मामले की जांच में कुछ प्रगति हुई है जो कि सामान्य परिस्थितियों में संभव नहीं होती. इस बीच, सीबीआई ने दलील दी कि घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए रिलायंस और टाटा समूह के खिलाफ जांच जारी है तथा किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.

जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि वह गर्मी की छुट्टियों के बाद टू जी मामले में जारी जांच पर नया स्थिति पत्र दाखिल करेगी. न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अगली सुनवाई 13 मई को तय कर दी. इसी दिन, मामले की जांच की निगरानी में न्यायालय की सहायता करने के लिए दो व्यक्तियों की नियुक्ति करने संबंधी अपील पर भी बहस होगी.

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच की निगरानी के लिए एक पैनल गठित करने का अनुरोध कर रही सीपीआईएल ने आरोप लगाया है कि ‘घोटाले में लिप्त बड़े खिलाड़ियों को बचाया जा रहा है.’ सीपीआईएल का आरोप है कि शाहिद उस्मान बलवा द्वारा खड़ी की गई स्वान टेलीकॉम और लूप टेलीकॉम कंपनियां क्रमश: आरकॉम और एस्सार ग्रुप के लिए काम करती थीं जबकि तमिलनाडु स्थित एक गैर सरकारी संगठन को निधि देने के एवज में टाटा को लाभ पहुंचाया गया.

इस गैर सरकारी संगठन की निदेशक द्रमुक सांसद कनिमोझी हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि टाटा टेलीसर्विस को दोहरी प्रौद्योगिकी के लिए यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेन्स (यूएएसएल) दिया गया क्योंकि उसने कनिमोई के एनजीओ को धन दिया था.

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लेकिन सीबीआई उनके खिलाफ कुछ नहीं कर रही है. सीपीआईएल का यह भी आरोप है कि घोटाले में प्रशांत रूइया और टाटा टेलीसर्विस की कथित संलिप्तता को लेकर जांच ठंडे बस्ते में है.

याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि 2जी लाइसेंस के लिए अयोग्य आरकॉम ने स्वान टेलीकॉम और उसके अध्यक्ष अनिल अंबानी को आर्थिक मदद दी जिनकी कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी है पर सीबीआई अंबानी को बचाने की कोशिश कर रही है.

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