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2जी घोटाले से जुड़ी कई अहम घटनाएं

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में सीबीआई ने सोमवार को अपना दूसरा आरोपपत्र दायर किया. इस आरोपपत्र में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की पुत्री और द्रमुक सांसद कनिमोझी के साथ चार और लोगों के नाम भी शामिल किए गए हैं.

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2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में सीबीआई ने सोमवार को अपना दूसरा आरोपपत्र दायर किया. इस आरोपपत्र में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की पुत्री और द्रमुक सांसद कनिमोझी के साथ चार और लोगों के नाम भी शामिल किए गए हैं.

मई, 2007: ए राजा दूसरी बार दूरसंचार मंत्री बने.

2007: दूरसंचार मंत्रालय (डीओटी) ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और यूनिवर्सल ऐक्सेस सर्विस (यूएएस) लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की.

25 सितंबर, 2007: मंत्रालय ने आवेदनों की अंतिम तारीख एक अक्तूबर, 2007 तय करने के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी की.

2 नवंबर, 2007: प्रधानमंत्री ने राजा को पत्र लिखकर उनसे सुनिश्चित करने के लिए कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन पारदर्शी तरीके से किया जाए. राजा ने प्रधानमंत्री को जवाबी पत्र लिखा, जिसमें कथित तौर पर उनकी कई अनुशंसाओं को खारिज कर दिया गया.

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22 नवंबर, 2007: वित्त मंत्रालय ने डीओटी को पत्र लिखकर अपनाई गई प्रक्रिया पर चिंता जताई, समीक्षा की मांग खारिज.

10 जनवरी, 2008: डीओटी ने पहले आओ-पहले पाओ की नीति के आधार पर लाइसेंस जारी करने का फैसला किया. अंतिम तिथि को भी एक अक्तूबर से घटा कर 25 सितंबर किया. इसी दिन बाद में मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की कि साढ़े तीन से साढ़े चार बजे के बीच आवेदन करने वालों को नीति के मुताबिक लाइसेंस जारी किए जाएंगे.

2008: स्वान टेलीकॉम, यूनिटेक और टाटा टेलीसर्विसेज ने अपने हिस्सेदारी का बड़ा हिस्सा काफी उंची कीमतों पर क्रमश: एटिसैलेट, टेलीनॉर और डोकोमो को बेचा.
4 मई, 2009: एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग ने लूप टेलीकॉम को स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में अनियमितताओं की केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से शिकायत की.

2009: सीवीसी ने सीबीआई को 2जी आवंटन में भ्रष्टाचार की जांच का आदेश दिया.

1 जुलाई, 2009: दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने अंतिम तिथि बदलने को अवैध ठहराया.

21 अक्तूबर, 2009: सीबीआई ने ‘डीओटी के अज्ञात अधिकारियों, अज्ञात निजी अधिकारियों, कंपनियों और अन्य के खिलाफ’ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला और प्राथमिकी दर्ज की.

22 अक्तूबर, 2009: सीबीआई के डीओटी कार्यालयों पर छापे.

16 नवंबर, 2009: सीबीआई ने नोयसिस कंसल्टेंसी की नीरा राडिया से जुड़ी जानकारी के संबंध में आयकर महानिदेशालय से मदद मांगी. इसके अलावा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में बिचौलियों से जुड़े रिकॉर्ड भी मांगे.

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20 नवंबर, 2009: विभाग से मिली जानकारियों से पता चला कि कई कॉरपोरेट महारथियों ने अवैध नामों का इस्तेमाल करते हुए डीओटी की नीतियों को प्रभावित किया. नीरा राडिया के राजा से सीधे संपर्कों का खुलासा.

24 नवंबर, 2009: दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने केंद्र की अपील खारिज की. केंद्र ने एकल न्यायाधीश के अंतिम तिथि को बदलने को अवैध ठहराने के आदेश को चुनौती दी थी.

31 मार्च, 2010: कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि ‘लाइसेंस जारी करने की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता नहीं’ थी.

2 अप्रैल, 2010: मामले की करीबी से जांच कर रहे सीबीआई के डीआईजी विनीत अग्रवाल और डीजी, आयकर विभाग मिलाप जैन का स्थानांतरण.

6 मई, 2010: मीडिया में राजा और नीरा की टेलीफेान पर हुई बातचीत का खुलासा.

मई, 2010: सरकार ने 3जी स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए जीओएम गठित किया.

18 मई, 2010: सीपीआईएल और अन्य द्वारा इस मामले की एसआईटी या सीबीआई जांच की मांग के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में दस्तक.

25 मई, 2010: दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका खारिज.

अगस्त, 2010: सीपीआईएल और अन्य की अदालत के फैसले को न्यायालय में चुनौती.

13 सितंबर, 2010: न्यायालय ने सरकार और राजा को सीपीआईएल की याचिका पर 10 दिन में जवाब देने को कहा. याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस आवंटन में लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.

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24 सितंबर, 2010: जनता पार्टी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने न्यायालय से मांग की कि वह प्रधानमंत्री को राजा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने का आदेश दें.

27 सितंबर, 2010: प्रवर्तन निदेशालय ने फेमा का उल्लंघन करने वाली संदिग्ध कंपनियों के खिलाफ जांच के बारे में न्यायालय को जानकारी दी. राजा की घोटाले में भूमिका से न तो इंकार किया और न ही पुष्टी.

8 अक्तूबर, 2010: न्यायालय का सरकार को कैग रिपोर्ट के बारे में प्रतिक्रिया देने का आदेश.

14 नवंबर, 2010: राजा का दूरसंचार मंत्री के पद से इस्तीफा, कपिल सिब्बल को मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार.

22 नवंबर, 2010: सीबीआई ने तीन महीने के भीतर आरोपपत्र दायर करने की बात कही.

25 नवंबर, 2010: न्यायालय ने राजा से पूछताछ न करने पर सीबीआई को फटकारा.

29 नवंबर, 2010: सीबीआई ने जांच में स्थिति रिपोर्ट दायर की.

30 नवंबर, 2010: न्यायालय ने सीबीआई की इस मामले में जांच के दौरान पी जे थॉमस की सीवीसी के तौर पर भूमिका के नैतिक अधिकार पर सवालिया निशान लगाए क्योंकि संदर्भित समय के दौरान वह खुद दूरसंचार सचिव थे.

2 दिसंबर, 2010 : सरकार ने बातचीत के टेप न्यायालय में रखे.

8 दिसंबर, 2010: न्यायालय ने जांच में 2001 तक की अवधि को शामिल करने का पक्ष लिया क्योंकि इसी दौरान पहले आओ-पहले पाओ की नीति लाई गई थी. न्यायालय ने केंद्र से कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष अदालत बनाई जाए.

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4 जनवरी, 2011: स्वामी ने 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस निरस्त करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

10 जनवरी, 2011: उच्चतम न्यायालय ने 2जी लाइसेंस निरस्त करने की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया. 11 कथित अयोग्य कंपनियों को भी नोटिस जारी किए गए.

2 फरवरी, 2011: राजा, बेहुरा और चंदोलिया गिरफ्तार. अगले दिन सीबीआई हिरासत में भेजे गए.

8 फरवरी, 2011: राजा को दो और दिन के लिए सीबीआई हिरासत में भेजा गया. बेहुरा और चंदोलिया को न्यायिक हिरासत में भेजा. स्वान टेलीकॉम का प्रचारक शाहिद उस्मान बलवा गिरफ्तार.

10 फरवरी, 2011: न्यायालय ने सीबीआई से कहा कि वह इस घोटाले में लाभ पाने वाले कॉरपोरेट घरानों को जांच के दायरे में लाए. सीबीआई की विशेष अदालत ने राजा को चार और दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में भेजा.

17 फरवरी, 2011: राजा को न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल भेजा गया.

28 फरवरी, 2011: राजा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई में पेश होने की मांग की. साथी कैदियों से जान को खतरा बताया.

1 मार्च, 2011: सीबीआई ने न्यायालय को बताया कि 63 लोगों पर निगाह रखी जा रही है. सीबीआई की अदालत ने राजा को वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश होने की अनुमति दी.

14 मार्च, 2011: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केवल 2जी मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत बनाई.

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29 मार्च, 2011: न्यायालय ने सीबीआई को 31 मार्च के स्थान पर दो अप्रैल को आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति दी.

2 अप्रैल, 2011: सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में पहला आरोपपत्र दाखिल किया.

25 अप्रैल, 2011: सीबीआई ने दूसरा आरोपपत्र दाखिल किया.

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