उद्योगपति रतन टाटा के बयान के जवाब में भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि वे ‘कोई जज’ नहीं है और उनके विचारों को बहुत महत्व नहीं दिया जाएगा, क्योंकि वे खुद संप्रग की दूरसंचार नीति के ‘लाभार्थी’ हैं.
पूर्व दूरसंचार उद्यमी और राज्यसभा सांसद राजीव चन्द्रशेखर को लिखे एक खुले पत्र में टाटा ने यह कहते हुए भाजपा पर निशाना साधा है कि भाजपा के शासनकाल में भी दूरसंचार नीति में कई खामियां थीं. टाटा ने इस पत्र के जरिए 2001 से अब तक स्पेक्ट्रम आबंटन की जांच कराए जाने का समर्थन किया है.
संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने बताया, ‘‘वे (टाटा) कोई जज नहीं हैं. हो सकता है कि वास्तव में क्या हुआ है, उन्हें इसकी बहुत जानकारी न हो.’’ चन्द्रशेखर ने टाटा को पारदर्शी नहीं होने और सरकार की दूरसंचार नीति का सबसे अधिक लाभ उठाने वालों में से एक होने का आरोप लगाया है. हालांकि टाटा ने इसके जवाब में कहा कि उनकी कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा से किसी तरह का लाभ नहीं लिया है.
जावड़ेकर ने कहा, ‘‘रतन टाटा एक महान उद्योगपति हैं और मैं उन पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन अगर वह इस (दूरसंचार) पर बोल रहे हैं तो उन्हें याद रखना चाहिए कि वे खुद भी एक दूरसंचार कंपनी के मालिक हैं.