2जी घोटाले की आंच अब गृहमंत्री पी चिदम्बरम तक पहुंच गई है और इस बार किसी और ने नहीं सीधे वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने उंगली उठाई है.
वित्तमंत्रालय के तहत काम करने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स ने पीएमओ को जो मेमो भेजा है उससे चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ये मेमो भेजा गया है 25 मार्च 2011 को. इस मेमो में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर अहम जानकारी दी गई है.
इसमें लिखा गया है कि 29 नवंबर 2007 को टेलीकॉम मंत्रालय ने 2जी लाइसेंस पर वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी. ये चिट्ठी 9 जनवरी 2008 को तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदम्बरम के पास भी पहुंची. ये चिट्ठी वित्त मंत्रालय के अफसरों ने इस सुझाव के साथ दी कि 2जी आवंटन में एंट्री फी और नीलामी की प्रक्रिया को लाइसेंस देने का पैमाना बनाया जाए.
लेकिन डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एफेयर्स ने इस बारे में टेलीकॉम मंत्रालय को कोई जवाब नहीं भेजा. मामला चिदंबरम की जानकारी में आने के अगले ही दिन 10 जनवरी को टेलीकॉम मंत्री ए राजा ने नीलामी के बजाय पहले आओ पहले पाओ के पैमाने पर 2जी लाइसेंस बांट दिए. यानी साफ है कि अगर चिदंबरम चाहते तो घोटाले को रोक सकते थे. वित्त मंत्रालय ने अदालत में जो रिपोर्ट आज सौंपी है उसमें भी यही कहा गया है.