टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा है कि सत्ता और संपत्ति उनके लिये मायने नहीं रखते. साथ ही उन्होंने 2012 में सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आने की संभावना से भी इनकार किया.
टाटा ने पत्रिका फोर्चून इंडिया को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘मैं निश्चित रूप से राजनीति में नहीं आऊंगा. मैं यह चाहूंगा कि लोग मुझे स्वच्छ उद्योगपति के रूप में याद करें जिसने वास्तविकताओं को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश नहीं की और कोई भी बात नहीं छिपायी नहीं तथा काफी हद तक सफल रहा है.’
कुल 72,000 अरब डालर के समूह के प्रमुख, ‘सत्ता और संपत्ति मेरे लिये अहमियत नहीं रखते.’ कंपनियों के लिये जनसंपर्क करने वाली नीरा राडिया के साथ बातचीत के टेप जारी होने के बारे में टाटा ने कहा, ‘यह मेरे लिये कठिन स्थिति थी लेकिन उससे भी बढ़कर यह दुखद था.’
उन्होंने कहा कि अमेरिका में एफबीआई और एनएसए भी बातचीत टेप करते हैं लेकिन निजी बातचीत पर आधारित टेप सार्वजनिक नहीं करते. यह ठीक वैसा ही है जैसा आप किसी छोटे गणतंत्र में उम्मीद करते हैं. उल्लेखनीय है कि नीरा राडिया मामले में टाटा ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सरकार को टेप सार्वजनिक किये जाने की जांच कराने और आगे इस प्रकार के टेप जारी नहीं होने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.{mospagebreak}
रतन टाटा ने साक्षात्कार में आश्चर्य जताया, ‘एक देश के रूप में आखिर हम क्या कर रहे हैं. हम दोष सिद्ध होने से पहले ही बिनी किसी सबूत के और महज फोन पर बातचीत के आधार पर आरोप लगा रहे हैं, उन्हें सजा दे रहे हैं.’
टाटा समूह के चेयरमैन ने यह भी कहा कि अगर वह अपने उत्तराधिकारी से संतुष्ट नहीं हुए तो समय से पहले सेवानिवृत्त हो जाएंगे. टाटा दिसंबर 2012 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं और उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के चयन के लिये पांच सदस्यी समिति का गठन किया है. उन्होंने कहा कि अगर उनका उत्तराधिकारी समूह के अंदर का रहा तो उसके साथ उन्हें काम करने में दिक्कत नहीं होगी और दोनों साथ मिलकर कुछ समय के लिये काम कर सकेंगे.