प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भरोसा जताया है कि तेल की ऊंची कीमतों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में 8.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल हो जाएगी.
मनमोहन सिंह ने शनिवार रात उनके साथ अफ्रीकी देशों की यात्रा पर जाने वाले पत्रकारों से कहा, ‘‘अभी तक मुझे ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिससे 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को हासिल करने की हमारी क्षमता पर कोई शंका पैदा हो. मुझे विश्वास है कि इस वित्त वर्ष में हम 8.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल कर लेंगे.’’
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसद रहने का अनुमान लगाया है. यह 2010-11 की 8.6 प्रतिशत की वृद्धि दर से कम है.
कृषि की स्थिति और उसके महंगाई पर प्रभाव के बारे में मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘अभी तक हमें जो प्रमाण मिल रहे हैं, वे मानसून सामान्य रहने का संकेत देते हैं. यदि मानसून ठीक-ठाक रहता है तो इससे महंगाई पर काबू की हमारी क्षमता बढ़ेगी.’’
अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 8.6 प्रतिशत पर थी. यह भारतीय रिजर्व के संतोषजनक स्तर 5-6 प्रतिशत से कहीं ऊंची है.
तेल मूल्यों पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘तेल सब्सिडी के बोझ को लेकर कुछ समस्याएं हैं. इन सभी मसलों को हल किया जाएगा. आगामी हफ्तों और महीनों में हम इस पर विशेष ध्यान देंगे.’’ सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने हालांकि पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए हैं, पर सरकार डीजल की कीमतों पर अभी कुछ तय नहीं कर पाई है.
जून के दूसरे सप्ताह में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले अधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) की बैठक में डीजल कीमतों पर कुछ फैसला लिया जा सकता है. भारत अपनी कच्चे तेल जरूरतों का 75 फीसद आयात करता है.