प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि हमारा मध्यकालिक लक्ष्य 10 प्रतिशत की वाषिर्क विकास दर प्राप्त करना है. उन्होंने इसे हासिल करने का भरोसा भी जताया.
प्रधानमंत्री ने संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने के मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारा मध्यकालिक लक्ष्य 10 प्रतिशत वाषिर्क की विकास दर हासिल करना है. मैं समझता हूं कि हमारी बचत और निवेश दर को देखते हुए यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि इसे हासिल करने के लिए सामाजिक एवं आर्थिक बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने की, कृषि में उत्पादकता बढ़ाने की तथा विनिर्माण क्षेत्र को नयी गति प्रदान करने की जरूरत है.
कृषि क्षेत्र का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘कृषि एवं बुनियादी ढांचे के विस्तार में आ रही मुख्य बाधाओं पर ध्यान देने के लिए दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है और निवेश में वृद्धि कर उन्हें प्रोत्साहित करना होगा.’’ उन्होंने कहा कि हमने इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
शुरूआत में प्रधानमंत्री ने मंगलोर विमान हादसे में मारे गये लोगों के प्रति शोक संवेदना प्रकट की.
प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, ‘‘निस्संदेह, हमारी पहली प्राथमिकता अर्थव्यवस्था को वैश्विक आर्थिक मंदी से बचाना और यह सुनिश्चित करना था कि समावेशी विकास की गति बाधित नहीं हो. मैं इस बात का फैसला आपपर छोड़ता हूं कि हम इस संबंध में कितना कुछ कर पाए हैं’’.{mospagebreak}
उन्होंने कहा ‘‘इस आर्थिक संकट से पहले चार वषरें में हमारी सालाना विकास दर औसतन नौ फीसदी रही. हालांकि, साल 2008-09 में यह घटकर साढ़े छह फीसदी हो गई लेकिन साल 2009-10 में इसमें सुधार हुआ और यह 7.2 फीसदी तक पहुंच गई. इस वित्तीय वर्ष में हमें विकास दर 8.5 फीसदी रहने की उम्मीद है. इसे दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना जा रहा है.’’
मनमोहन सिंह ने कहा कि हमारे दूसरे कार्यकाल का एजेंडा जन समर्थक नीतियों और कार्यक्रमों को मजबूत करना है जो 2004 से हमारी सरकार ने शुरू किये हैं. हमारी योजनाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के सामाजिक तथा आर्थिक उत्थान को प्राथमिकता दी जायेगी.
उन्होंने कहा कि हमें उत्पादी रोजगार के लिए बढ़ती अर्थव्यवस्था की और हमारे महत्वाकांक्षी सामाजिक एवं आर्थिक एजेंडे के लिए वित्तीय संसाधनों की जरूरत है.{mospagebreak}
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पिछले कुछ साल कठिनाई भरे रहे. 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट था, जिससे दुनिया में मंदी आयी. हमने 2009 में भयावह सूखे का भी सामना किया.
सिंह ने कहा, ‘‘इस उपलब्धि का बड़ा श्रेय हमारे कामगारों, किसानों और युवाओं को जाता है जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और उद्यम से आर्थिक विकास की रफ्तार को रुकने नहीं दिया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछले साल ही कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और देश को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, उनके बारे में मैं संक्षेप में आपको बताना चाहूंगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत निर्माण, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन जैसे हमारे अहम कार्यक्रम अच्छी प्रगति कर रहे हैं. हम अभी इनसे सीख ले रहे हैं. हम इन कार्यक्रमों को और मजबूत कर सकते हैं और इनके क्रियान्वयन में सुधार ला सकते हैं और हम ऐसा करेंगे.’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘महंगाई गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है. सरकार मुद्रा स्फीति पर अंकुश लगाने को अपनी शीर्ष प्राथमिकता देती है ताकि आम आदमी को कोई परेशानी नहीं हो. जो कदम हमने उठाए हैं उसके परिणामरूवरूप कीमतों में कमी के संकेत दिख रहे हैं. हम हालात पर करीबी नजर रखेंेगे और राज्य सरकारों के साथ मिलकर कीमतों में कमी लाने और हमारे समाज के कमजोर तबके को महंगाई के प्रभाव से बचाने के लिए सुधार के सभी कदम उठाएंगे.’’