कारपोरेट लाबिस्ट नीरा राडिया ने 2009 के आम चुनाव के बाद द्रमुक सांसद कनिमोझी तथा प्रमुख उद्योगपतियों से मेलजोल रखा था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ए राजा ही दूरसंचार मंत्री बनें.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अदालत में पेश एक दस्तावेज में यह बात कही है. राडिया पर आरोप है कि उन्होंने दूरसंचार मंत्रालय के लिए गुटबाजी (लाबिंग) की थी. नेताओं, उद्योपतियों तथा पत्रकारों से उनकी करीबी का साक्ष्य जांच एजेंसी के समक्ष उनका बयान ही है.
यह बयान सीबीआई द्वारा 2जी मामले में दाखिल आरोपपत्र का हिस्सा है. इसके अनुसार राडिया ने दूरसंचार मंत्रालय राजा को मिलने के 'संयोग' आदि के बारे में विचार विमर्श किया और उन्हें रिलायंस एडीएजी प्रमुख अनिल अंबानी से दूरी बनाने के प्रति आगाह किया.
राडिया ने राजा को दूरसंचार मंत्रालय दिलाने के बारे में भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल से भी बात की. राडिया ने इस बारे में कनिमोई से सक्रिय भूमिका निभाने को कहा था क्योंकि एनडीटीवी की समूह संपादक बरखा दत्त तथा अन्य पत्रकारों ने मंत्रीमंडल गठन को लेकर द्रमुक व कांग्रेस में संशय का जिक्र किया था.
वैष्णवी कम्युनिकेशंस की अध्यक्ष नीरा राडिया ने सीबीआई को बताया, 'मेरा कहना है कि 2009 के आम चुनाव परिणामों के बाद मेरी कनिमोई करुणानिधि से यह बातचीत हुई थी. यह बातचीत द्रमुक तथा आंतरिक राजनीति के बारे में थी. मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे एकता के साथ साथ अपने करियर के लिए पार्टी के भीतर तथा अपने पिता के साथ सक्रिय भूमिका निभाएं.'
सीबीआई के समक्ष राडिया ने कहा कि उन्होंने ए राजा को दूरसंचार मंत्रालय दिए जाने के 'संयोग' आदि पर भी चर्चा की. राडिया ने इस मामले में कनिमोई, राजा तथा सुनील भारती मित्तल से भी बातचीत की.
राडिया के अनुसार वह द्रमुख की राजनीति आदि को काफी नजदीक से देख रही थीं. राडिया ने कहा कि आम चुनावों के परिणामों के बाद बरखा दत्त तथा अन्य पत्रकारों ने मंत्रिमंडल गठन को लेकर द्रमुक तथा कांग्रेस के बीच संशय के बारे में बताया था और उन्होंने इस जानकारी को राजा तथा कनिमोई के साथ बांटा.