उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने विपक्ष के ‘दुष्प्रचार’ का जवाब देने के लिये अपनी कार्यप्रणाली में जिम्मेदारी और पारदर्शिता का दावा करते हुए 24 प्रमुख विभागों के कार्यो पर श्वेत पत्र जारी किया.
प्रदेश के मंत्रिमण्डलीय सचिव शशांक शेखर सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमण्डल की मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने 24 प्रमुख विभागों के कार्यो पर आधारित श्वेत पत्र जारी किया है. इस दस्तावेज में इन विभागों में पारदर्शिता, जवाबदेही और स्वच्छ सरकारी कार्यप्रणाली का जिक्र किया गया है.
सिंह ने मुख्यमंत्री मायावती की ओर से कहा कि विपक्षी दलों को सरकार विरोधी गलत प्रचार करने से पहले उसके श्वेत पत्र को पढ़ना चाहिये. अगर वे ऐसा करें तो उन्हें सरकार पर उंगली उठाने के लिये कोई मुद्दा नहीं मिलेगा. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी द्वारा इन दिनों अपनी जनसभाओं में और अन्य दलों के बयानों में राज्य सरकार पर आरोप लगाए जाने के बीच राज्य सरकार ने 84 पन्नों का यह श्वेत पत्र जारी किया है.
सिंह ने मायावती की ओर से कहा कि मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार पूर्ववर्ती सरकारों से ‘विरासत’ में मिला है और वह इस बुराई को रोकने के लिये हर कदम उठा रही हैं. उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार के खिलाफ कोई ठोस मुद्दा नहीं मिलने से परेशान विपक्षी दल अब मुख्यमंत्री के परिजन पर नोएडा में जमीन आबंटन में घोटाले से जुड़े झूठे इल्जाम लगा रहा है.
सिंह ने मायावती का बयान पढ़ा ‘जैसा कि मैं पहले भी कह चुकी हैं कि मैंने अपने परिजन को राजनीति और सरकारी कार्यो से दूर रखा है. किसी भी व्यक्ति के लिये सरकारी कामकाज की प्रक्रिया से समझौता नहीं किया गया है.’ श्वेत पत्र जारी करने की जरूरत के बारे में मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि यह शंकाओं को दूर करने और विपक्ष को जवाब देने के लिये लाया गया है.
श्वेत पत्र में राज्य की भूमि अधिग्रहण नीति तथा आबकारी विभाग द्वारा वसूले गये राजस्व में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी, बीमारू चीनी मिलों को बेचने की आवश्कताओं तथा उर्जा विभाग की कथित उपलब्धियों का जिक्र किया गया है.
विपक्षी दलों के निशाने पर रहे पार्कों तथा स्मारकों किये गये खर्च को न्यायसंगत बताते हुए सिंह ने कहा कि वह व्यय राज्य के कुल बजट का मात्र एक प्रतिशत है और इसे संवैधानिक प्रावधानों के तहत अमल में लाया गया है. उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश देश का सम्भवत: एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां भूमि अधिग्रहण को लेकर कोई समस्या नहीं है. यह राज्य सरकार की अधिग्रहण नीति का परिणाम है, जिसके तहत जमीन लेने से पहले किसानों की रजामंदी लेना जरूरी है.
सिंह ने कहा कि राज्य में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए गन्ना मूल्य तय किया गया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य में बिजली उत्पादन तीन हजार मेगावाट की बढ़ोत्तरी के साथ सात हजार मेगावाट हो गया है.