थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति फरवरी 2011 में एक महीने पहले के मुकाबले मामूली बढकर 8. 31 प्रतिशत हो गई. मुद्रास्फीति की यह मजबूती दूध, चिकन, मछली और कुछ दालों के दाम बढने से दर्ज की गई. एक महीना पहले के मुकाबले अरंडी, कच्चा सूत, सूरजमुखी और सोयाबीन के दाम भी बढ़ गये.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के जारी थोक मूल्य सूचकांक के मासिक आंकडों के अनुसार सकल उपभोक्ता वस्तुओं का सूचकांक (आधार वर्ष 2004-05:100) फरवरी 2011 में 146 अंक दर्ज किया गया. एक साल पहले के मुकाबले इसमें 8. 31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. एक महीना पहले जनवरी में यह 8. 23 प्रतिशत रही थी.
कई विशेषज्ञों ने फरवरी माह में सकल मुद्रास्फीति के आठ प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद जताई थी, लेकिन लगता है उनके अनुमान गड़बड़ा गये. यहां तक कि सरकार को भी मार्च तक मुद्रास्फीति सात प्रतिशत तक नीचे आने की उम्मीद है. वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी कई बार कह चुके हैं कि मार्च तक मुद्रास्फीति घटकर सात प्रतिशत रह जायेगी.
मुद्रास्फीति के फरवरी के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये मुखर्जी ने कहा कि मार्च अंत तक इसके घटकर सात से साढ़े सात प्रतिशत के दायरे में रहने की उम्मीद है, मुद्रास्फीति के मासिक आंकडों में आने वाले उतार चढ़ाव से पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं होती.
सकल मुद्रास्फीति में 20 प्रतिशत भार रखने वाले प्राथमिक वस्तुओं के समूह में आलोच्य माह में गिरावट रही. खाद्य वस्तुओं का समूह सूचकांक हालांकि, 5. 2 प्रतिशत नीचे आया है और इसमें एक महीने पहले के मुकाबले कुछ फल एवं सब्जियों के दाम में 20 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई. मूंग पांच प्रतिशत, मसाले चार प्रतिशत, अंडा और उड़द दो प्रतिशत तथा चावल और मसूर प्रत्येक एक प्रतिशत घट गये.