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भारत, सऊदी अरब के बीच प्रत्यर्पण संधि पर करार

भारत और सऊदी अरब ने आतंकवाद तथा धन शोधन की समस्या से संयुक्त तौर पर लड़ने का संकल्प लिया और सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, उर्जा तथा रक्षा क्षेत्रों को मिलाकर एक सामरिक भागीदारी के लिये सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्यर्पण संधि सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये.

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भारत और सऊदी अरब ने आतंकवाद तथा धन शोधन की समस्या से संयुक्त तौर पर लड़ने का संकल्प लिया और सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, उर्जा तथा रक्षा क्षेत्रों को मिलाकर एक सामरिक भागीदारी के लिये सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्यर्पण संधि सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सउदी अरब के शाह अब्दुल्ला ने कई मुद्दों पर चर्चा की. दोनों ने रियाद घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये जिसमें दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी का नया दौर शुरू करने की बात कही गयी है.

मनमोहन का यहां गत शुक्रवार को अभूतपूर्व स्वागत किया गया जब सऊदी अरब का पूरा मंत्रिमंडल उनकी अगवानी के लिये हवाई अड्डे पर मौजूद था. प्रधानमंत्री के सम्मान में अल रावादाह पैलेस में शाही दावत दी गयी. शाह अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री की अगवानी की और स्वागत समारोह में भाग लिया. यह सऊदी अरब में विदेशी मेहमानों को दिये जाने वाले सम्मान का बिरला मौका होता है.

दोनों देशों ने वर्ष 2006 के दिल्ली घोषणा पत्र की तर्ज पर सामरिक भागीदारी मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया. इस घोषणा पत्र में भारत की कच्चे तेल की बढ़ती जरूरत पूरी करने और अक्षय उर्जा के नये क्षेत्रों की पहचान करने की बात कही गयी है. भारत ने सऊदी अरब को न्योता दिया कि वह देश में कच्चे तेल की भंडार सुविधाओं में भागीदार बने. मनमोहन और शाह अब्दुल्ला ने आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा की निंदा की और दोहराया कि ये समस्याएं वैश्विक हैं, सभी समाजों के लिये खतरा हैं तथा यह किसी नस्ल, रंग या धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई नहीं हैं.

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दोनों पक्ष आतंकवादी गतिविधियों, धन शोधन, मादक पदाथरें के कारोबार और हथियार तथा मानव तस्करी से जुड़ी जानकारी के आदान प्रदान में सहयोग को विस्तार देने तथा इन खतरों से निपटने के लिये संयुक्त रणनीति विकसित करने पर सहमत हुए.

विदेश मंत्रालय सचिव (पूर्व) विजयलता रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद और सउदी अरब के द्वितीय उप प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री शहजादे नाइफ बिब अब्दुलअजीज के बीच हस्ताक्षरित प्रत्यर्पण संधि के जरिये मौजूदा सुरक्षा सहयोग को विस्तार दिया जा सकेगा और इससे दोनों देशों में मौजूद वांछित व्यक्तियों को गिरफ्त में लेने में मदद मिलेगी.

प्रत्यर्पण संधि के अलावा चार अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. ये समझौते सजायाफ्ता कैदियों की अदला-बदली और सांस्कृतिक सहयोग पर आधारित हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन तथा ‘किंग अब्दुलअजीज सिटी फॉर साइंस एंड टेक्नॉलोजी’ के बीच बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग, संयुक्त शोध तथा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिये एक करार हुआ है. एक समझौता टाटा मोटर्स से जुड़ा है जिसके तहत आठ करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य की स्कूली बसों की आपूर्ति की जाएगी.

{mospagebreak}छह पृष्ठ वाले घोषणा पत्र में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच विकास से जुड़े संबंधों के मद्देनजर और भविष्य में विकास की संभावनाओं को देखते हुए दोनों नेताओं ने सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, रक्षा तथा राजनीति के क्षेत्र को मिलाकर एक सामरिक भागीदारी के लिये सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है. मनमोहन और शाह अब्दुल्ला सउदी अरब तथा भारत के साझा हितों को पूरा करने के लिये रक्षा सहयोग में मजबूती लाने के उद्देश्य से सहयोग जारी रखने पर सहमत हुए. दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया की शांति प्रक्रिया पर चर्चा तथा मौजूदा कोशिशों की समीक्षा की.

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उन्होंने उम्मीद जतायी कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों तथा अरब शांति योजना के अनुरूप शांति प्रक्रिया की जल्द बहाली होगी ताकि विवादों का एक निश्चित समयावधि के भीतर व्यापक रूप से हल निकाला जा सके और संप्रभु, स्वतंत्र, एकजुट तथा व्यवहार्य फलस्तीन राष्ट्र की स्थापना हो सके. दोनों नेताओं ने जोर दिया कि इस्राइल का बस्ती निर्माण कार्य जारी रखना शांति प्रक्रिया में मौजूद एक बुनियादी अवरोध है. घोषणा पत्र में मनमोहन और शाह अब्दुल्ला ने दोहराया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े मसलों का बातचीत के जरिये शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालने के लिये चल रही अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को समर्थन दिया जाये.

दोनों देशों ने ईरान से कहा कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम से जुड़े क्षेत्रीय तथा अन्य देशों के संदेह को दूर करने के लिये कोशिशों का जवाब दे क्योंकि ये कोशिशें ईरान या किसी अन्य देश के आईएईए के मानदंडों तथा प्रक्रियाओं के अनुरूप तथा उसकी निगरानी के तहत परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के अधिकारों को सुनिश्चित कराती हैं. दोनों देशों के बीच बातचीत में अफगानिस्तान के हालात पर भी चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान की संप्रभुता तथा स्वतंत्रता की रक्षा का आह्वान किया. उन्होंने शांति, स्थिरता तथा सुरक्षा हासिल करने तथा देश को आतंकी गतिविधियों से बचाने के लिये अफगान जनता की कोशिशों के प्रति भी अपना समर्थन जताया.

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