राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों ने प्रभावी एवं मजबूत लोकपाल बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया. हालांकि मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने अन्ना हजारे पक्ष द्वारा उठाये तीन विवादास्पद मुद्दों पर अपना समर्थन व्यक्त किया. वहीं सत्ता पक्ष ने इस मामले में जल्दबाजी दिखाने के प्रति आगाह किया.
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लोकपाल मुद्दे पर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा दिए गए बयान के बाद चर्चा की शुरूआत करते हुए सदन में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने प्रधानमंत्री तथा पूरी नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में लाने, जन शिकायत निवारण के लिए सिटीजन चार्टर बनाने और राज्यों में लोकायुक्त बनाने सहित अन्ना हजारे पक्ष द्वारा उठाये गए विवादास्पद तीन मुद्दों पर अपनी पार्टी का समर्थन व्यक्त जताया.
जेटली ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दे पर यह अवश्य कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी कुछ परिस्थितियों को अपवाद बनाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को छोड़कर भाजपा किसी भी संस्थान को फोन टैपिंग के अधिकार दिये जाने के खिलाफ है.
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उन्होंने कहा कि आम आदमी की शिकायतें दूर करने के लिए सिटीजन चार्टर लाना बहुत बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार सहित विभिन्न राज्यों ने इस दिशा में पहल कर दी है और कई अन्य राज्य भी इस दिशा में आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में केन्द्र को भी आगे आना चाहिए.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, बीजेपी अन्ना हजारे की तीनों मांगों का समर्थन करती है. सुषमा ने कहा कि 43 सालों से लोकपाल बिल पास नहीं हो पाया है और अब ये बिल एक जन आंदोलन बन गया है.
सुषमा स्वराज ने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर जनता बौखला गई है और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता को सरकारी बिल पर गुस्सा आया. सुषमा ने कहा कि लोगों ने सरकारी बिल पर सवाल उठाए. सुषमा ने कहा कि सरकारी लोकपाल बिल कुंद था.
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सुषमा ने कहा कि सरकार ने मजबूत लोकपाल बिल का भरोसा दिलाया था और जब पूरी लोकसभा ने अपील की थी लग रहा था कि हल निकल जाएगा.
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राहुल गांधी पर निशान साधते हुए सुषमा ने कहा कि राहुल गांधी संसद में बहुत कम आते हैं और शुक्रवार को स्पीकर के विशेषाधिकार से राहुल गांधी को बोलने की अनुमति मिली.
सुषमा ने कहा, शुक्रवार को जब राहुल गांधी ने शून्य काल बोलना शुरू किया तो जैसे लग रहा था कि वो राष्ट्र के नाम संदेश दे रहे हैं. सुषमा ने कहा कि पीएम के बयान पर राहुल गांधी ने पानी फेरा.
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प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की बात पर सुषमा ने कहा, पीएम को लोकपाल के दायरे में नहीं रखना गलत है. कुछ शर्तों के साथ पीएम को लोकपाल के दायरे में रखा जा सकता है.
सुषमा स्वराज ने कहा कि वर्तमान समय में न्यायपालिका के स्तर में गिरावट आई है लेकिन न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाना समस्या का हल नहीं. सुषमा ने कहा कि संसद के भीतर सांसदों का आचरण लोकपाल के दायरे में नहीं होना चाहिए.