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देश में 4 लाख से ज्यादा भिखारी, क्या ये भारतीय नहीं? ये है वजह

भारत जैसे प्रगतिशील देश में हर तबके के लोग रहते हैं सबको बराबर के अधिकार हैं. इन्ही अधिकारों के लिए चुनाव आयोग को कर्नाटक चुनाव से पहले एक अपील की गई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत जैसे प्रगतिशील देश में हर तबके के लोग रहते हैं सबको बराबर के अधिकार हैं. इन्ही अधिकारों के लिए चुनाव आयोग को कर्नाटक चुनाव से पहले एक अपील की गई है. ये अपील है भिखारियों की पहचान पत्र बनाकर उन्हें वोट देने की अधिकार को लेकर. जो हक़ हमें देश का संविधान देता है. अपील कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले हुई है.

दरअसल भारत में लगभग 4,13,670 भिखारी हैं, जिसमें 2,21,673 पुरुष और 1,91,997 महिलाएं शामिल हैं. इनकी ज़िन्दगी कितनी कठिन है ये हम शायद नहीं समझ सकते. लेकिन संविधान तो सबके लिए बराबर है.

कर्नाटक चुनाव में वोट भिखारी दे सकते हैं. एक सामाजिक कार्यकर्ता समूह, अखिल भारतीय ग्रामीण अखंडता (डीएएआरआई) के लिए डेमोक्रेटिक राजदूत ने चुनाव आयोग से मतदाताओं की सूची में कर्नाटक में भिखारी और बेघर लोगों को नामांकित करने की अपील की है. और जब तक लोगों का नाम लिस्ट में नाम नहीं आता चुनाव प्रक्रियाओं को रोकने के लिए भी अपील की है.

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दाराई संयोजक रवि बांगेरा ने मंगलौर के डिप्टी कमिश्नर शशिकांत सेंथिल से भी अनुरोध किया है कि वे शहर के सभी भिखारियों को नामांकित करे. सेंथिल ने, 'हम भिखारी के ब्योरे की पुष्टि कर रहे हैं, एक बार ऐसा करने के बाद हम सूची में उनका नाम नामांकित करेंगे.' उन्होंने आगे कहा कि वे भिखारी पुनर्वास केंद्रों और अन्य स्थानों सहित कई स्थानों पर भिखारी के ब्योरे की पुष्टि कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक की आबादी का पांच प्रतिशत भीख मांग रहा है और उनमें से अधिकतर मतदाताओं के रूप में नामांकित नहीं हुए हैं. उन्होंने अपील 12 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले ठीक पहले की है. समाज में भिखारी और बेघर लोगों को एक पहचान देने की ये एक कोशिश काफ़ी अच्छी है.  

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