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राजस्थानः रणथंभौर में टी-111 ने चार शावकों को दिया जन्म, 3 साल में बढ़े 33 टाइगर

अब रणथंभौर में 21 नर बाघ, 30 मादा और 18 शावक मिलाकर कुल 69 बाघ हो गए हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने बाघिन टी 111 और उसके शावकों की सुरक्षा बढ़ा दी है.

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बढ़ी बाघों की तादाद (फोटोः वन विभाग)
बढ़ी बाघों की तादाद (फोटोः वन विभाग)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चार शावकों के पास नजर आई बाघिन टी-111
  • वन विभाग मॉनिटरिंग के लिए लगा रहा कैमरा ट्रैप

राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से खुशखबरी आई है. बाघिन टी-111 ने चार शावकों को जन्म दिया है. सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल पार्क के फील्ड बायोलॉजिकल हरिमोहन मीणा ने शुक्रवार की सुबह 9 बजे कुंडेरा रेंज के लकड़दा फॉरेस्ट रेंज में आड़ी डगर नाले में बाघिन टी-111 के चार शावकों को एक साथ पानी पीते हुए देखा. तब उनके साथ उनकी मां नहीं थी.

अब रणथंभौर में 21 नर बाघ, 30 मादा और 18 शावक मिलाकर कुल 69 बाघ हो गए हैं. वन अधिकारियों ने बाघिन और उसके शावकों की सुरक्षा बढ़ा दी है. रणथंभौर बाघ परियोजना के मुख्य वन संरक्षक टीकमचंद वर्मा ने बताया कि बाघ परियोजना के फील्ड बायोलॉजिस्ट हरिमोहन मीणा को बाघिन के चार शावक दिखाई दिए थे. उसके बाद वन अधिकारियों की निरीक्षण टीम भेजी गई जहां शावकों के पास बाघिन टी-111 भी नजर आई.

उन्होंने बताया कि शावक लगभग दो माह के हैं. बाघिन और शावकों की सुरक्षा के लिए फेज 4 मॉनिटरिंग के तहत कैमरा ट्रैप लगाए जा रहे हैं. वर्मा ने बताया कि बाघिन टी-111 के व्यवहार और शारीरिक संरचना से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि बाघिन ने शावकों को जन्म दिया है. इसके अलावा रणथंभौर बाघ परियोजना करौली के अधीन आने वाले कैला देवी अभयारण्य में एक नर बाघ और एक मादा बाघिन के साथ दो शावक यानी कुल चार बाघ हैं.

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मुख्य वन संरक्षक के मुताबिक, धौलपुर में एक नर, एक मादा और दो शावक यानी कुल चार बाघ इस समय हैं. बाघिन के शावकों को जन्म देने से रणथंभौर में बाघों का कुनबा बढ़ा है जो रणथंभौर के लिए सुखद खबर है. उन्होंने कहा कि वन विभाग की ओर से सुरक्षा के लिहाज से शावकों और बाघिन की मॉनिटरिंग की जा रही है. उनपर लगातार वन विभाग की टीम नजर रख रही है.

गौरतलब है कि पिछले तीन साल के दौरान राजस्थान में बाघों की संख्या में 33 का इजाफा हुआ है. अब राजस्थान में कुल बाघों की संख्या 102 हो गई है. हालांकि, पिछले दिनों रणथंभौर के बढ़े हुए बाघ शिफ्ट करने के लिए शुरू की गई मुकुंद रहा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व परियोजना अब तक फेल साबित हुई है.

 

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