
किसी भी इलाके की स्वास्थ्य सेवाएं देखनी हों तो उसके जिला अस्पताल पहुंच जाइए. राजस्थान की स्वास्थ्य सेवाएं देखने के लिए हम जैसलमेर के जवाहर अस्पताल पहुंचे. ये वो अस्पताल है जो 8 लाख की आबादी का सहारा है. इस इलाके में 400 से ज्यादा गांव आते हैं.
इसके बावजूद इस अस्पताल की हालात देखने लायक है. यहां पीएम केयर्स फंड से आए वेंटिलेटर जैसलमेर के कोविड वार्ड में धूल खा रहे हैं. पिछले एक साल से वो ऑपरेशनल नहीं हैं. इन मशीनों का खस्ताहाल देखकर आप ये अंदाजा लगा सकते हैं कि ये मशीनें कितनी इस्तेमाल हुई हैं. मशीनों पर धूल जमी हुई है.
लोग बताते हैं कि यहां टेक्नीशियन का अभाव है. ये मशीनें ऐसे वक्त में कोल्ड स्टोरेज में पड़ी हुई हैं, जब जनता को इनकी सख्त जरूरत है. जैसलमेर को पीएम केयर्स फंड से 13 वेंटिलेटर्स मिले हैं.
अस्पताल में अपनी बहन का इलाज कराने आए देव जी बताते हैं कि उनकी बहन को ऑक्सीजन की जरूरत थी. वो बताते हैं कि यहां उन्होंने किसी भी मरीज को वेंटिलेटर पर नहीं देखा. ऐसे ही एक और मरीज के परिजन बताते हैं कि यहां मशीनें पड़ी हुई हैं.
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वहीं, अस्पताल के डॉक्टर वीके वर्मा बताते हैं कि कुछ वेंटिलेटर्स में समस्या आई है. वो बताते हैं कि कुछ वेंटिलेटर्स में छोटी-मोटी खामी है. टेक्नीशियन को बुलाया गया है, वो ठीक कर देंगे.
इसी अस्पताल में एक जगह कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. मलबे पर लोग बैठे हुए हैं. जहां मलबा पड़ा है, उसी के बगल में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर रखे हैं, जो धूल खा रहे है. कॉन्ट्रेक्टर का कहना है कि यहां आईसीयू वार्ड बनाने का काम चल रहा है.

कोरोना को आए सालभर से ज्यादा हो गया है, लेकिन जब इंडिया टुडे का कैमरा आईसीयू में पहुंचा, उसी दिन से काम शुरू हुआ. जिम्मेदारों के पास भी अलग-अलग बहाने थे. डॉ. वीके वर्मा ने कहा कि पुराने आईसीयू को रिपेयर कराया जा रहा है.
यहां के स्थानीय विधायक के बेटे ने तर्क दिया कि अस्पताल में स्टाफ और स्पेशलिस्ट की कमी है, इस वजह से आईसीयू शुरू नहीं हो पाया.
महामारी को एक साल से भी ज्यादा होने के बावजूद अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है. जैसलमेर के डीएम आशीष मोदी कहते हैं कि आईसीयू वार्ड मेडिसीन और गाइनी वार्ड के बीच में था, इसलिए उसे कोविड वार्ड में शिफ्ट कराया जा रहा है. वो कहते हैं कि पीएम केयर्स फंड से मिले 12 वेंटिलेटर्स में 4 इस्तेमाल हो रहे हैं. दो खराब हो गए हैं क्योंकि उनके वायर में समस्या थी.
अस्पताल की तस्वीरें राज्य सरकार की पोल खोलती है और शर्मसार करती है उस सिस्टम को जो बड़े-बड़े वादे और दावे करती है. एक तरफ जनता जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही है तो दूसरी तरफ राजस्थान सरकार की बेपरवाही का ये आलम है.