
धर्मांतरण केस में पकड़े गए कलीम सिद्दीकी (Maulana Kaleem Siddiqui) के बारे में अब नए खुलासे हुए हैं. पता चला है कि कलीम सिद्दीकी ने धर्म परिवर्तन का यह जाल कई राज्यों तक फैलाया हुआ था. इतना ही नहीं लोगों के मन में भय बैठाने के लिए वह तंत्र-मंत्र का सहारा भी लेता था. लोगों को ताबीज आदि देकर वह उनका भरोसा जीतने की कोशिश करता. ताबीज बनाने के लिए वह 'नक्शे सुलेमानी' नाम की किताब का इस्तेमाल भी करता था.
कलीम सिद्दीकी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, बिहार आदि राज्यों में भोले-भाले युवाओं और महिलाओं का निशाने पर लेता था. ऐसे लोगों को फंसाकर धर्म परिवर्तन कराने के लिए उसने 100 से ज्यादा मुस्लिम मौलवियों को तंत्र- मंत्र और ताबीज बनाने की ट्रेनिंग दे रखी थी.

दावा है कि ये लोग तंत्र- मंत्र का डर दिखाकर लोगों को बहला-फुसला लेते थे. ये लोग 'नक्शे सुलेमानी' नाम की एक किताब का भी प्रचार-प्रसार किया करते थे.
धर्म परिवर्तन कराकर फर्जी पासपोर्ट पर भेजा था हज
आजतक से बात करते हुए मेमचंद नाम के शख्स ने इसका खुलासा किया. मेमचंद राजस्थान के मेवात इलाके का रहने वाला है. कलीम सिद्दीकी और इसके एक गुर्गे अबू बकर ने मेमचंद का नाम बदलकर धर्म परिवर्तन कराया. मेमचंद का नाम बदल कर 'मोहम्मद अनस' कर दिया गया था. मेमचंद ने बताया कि कलीम सिद्धकी और उसके साथ अबू बकर मेवात, मुबीन मेवात और सोहराब मेवात मिलकर 'नक्शे सुलेमानी' किताब की मदद से तंत्र-मंत्र करते और ताबीज बनाते थे.

मेमचंद का इन लोगों ने फर्जी तरीके से पासपोर्ट भी बनवाया था. फिर उसे हज के लिए भी भेजा गया था. मेमचंद फिलहाल इस्लाम धर्म छोड़कर दोबारा अपना धर्म अपना चुके हैं.
दूसरे धर्मों की होती थी बुराई
वैसे मेमचंद जैसे लोगों की कहानी तो एक बानगी भर है. कलीम सिद्धकी, अबू बकर, उमर गौतम, मुबीन मेवात, सोहराब मेवात जैसे कई लोग धर्म परिवर्तन के पूरे रैकेट में लगे हुए हैं. मेवात में चल रहे दावत-ए-इस्लाम ट्रस्ट के जरिए मौलाना मोहम्मद कलीम सिद्धकी एक किताब भी निकालता है इस किताब का नाम 'आपकी अमानत आपकी सेवा' है. दावा है कि इस किताब के जरिए एक धर्म से दूसरे धर्म को ऊंचा बताया गया है और लोगों को भड़काने की कोशिश हुई है. इस धर्म में क्या अलग है और दूसरे धर्म में कितनी कमियां हैं? इस तरह की चीजें उसमें लिखी हैं.

सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि उसकी टीम के लोग मेवात, नूह और आसपास के इलाके के स्कूलों में दावत यानी एक तरीके से महफिल को बुलाकर लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते थे.