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महिला दिवस पर गहलोत सरकार ने वसुंधरा चौहान के शौर्य को दिया सम्मान, बनाया SI

24 वर्षीय वसुंधरा चौहान, एनसीसी में ट्रेनर हैं. उसने विगत 3 मार्च को उस समय अपनी बहादुरी का परिचय दिया, जब भरतपुर की सेंट्रल जेल से एक कैदी को करीब 7 पुलिसकर्मी सुरक्षा के साथ धौलपुर पेशी पर ले जा रहे थे.

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वसुंधरा चौहान की बहादुरी को सम्मान
वसुंधरा चौहान की बहादुरी को सम्मान
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महिला दिवस पर धौलपुर की बहादुर बेटी वसुंधरा चौहान को सम्मान
  • गहलोत सरकार ने सीधे SI किया नियुक्त

राजस्थान सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर धौलपुर की बहादुर बेटी वसुंधरा चौहान को पुलिस सब इंस्पेक्टर के पद पर सीधी नियुक्ति करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह निर्णय महिला सशक्तिकरण की दिशा में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सीएम गहलोत ने वसुंधरा के अदम्य साहस एवं शौर्य को सम्मान देते हुए इसकी मंजूरी दी है. 

24 वर्षीय वसुंधरा चौहान, एनसीसी में ट्रेनर हैं. उन्होंने विगत 3 मार्च को उस समय अपनी बहादुरी का परिचय दिया, जब भरतपुर की सेंट्रल जेल से एक कैदी को करीब 7 पुलिसकर्मी सुरक्षा के साथ धौलपुर पेशी पर ले जा रहे थे. यह सभी राजस्थान रोडवेज की बस में जा रहे थे. जहां यह बहादुर लड़की वसुंधरा चौहान भी सफर कर रही थी. 

तभी कैदी को पुलिस से छुड़ाने आए करीब पांच हथियारबंद बदमाशों ने पुलिस कर्मियों की आंखों में मिर्ची डालकर उनकी राइफल छीन ली और कैदी को छुड़ाकर ले जाने का प्रयास किया. लेकिन उसी बस में सफर कर रहीं वसुंधरा चौहान ने उन बदमाशों को दबोच लिया और उनसे राइफल छीन ली. हालांकि इस दौरान बदमाशों ने कई राउंड फायरिंग भी की. जिसमें से एक गोली वसुंधरा के सिर के पास से होकर निकली. लेकिन वसुंधरा ने हिम्मत नहीं हारी.  

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भरतपुर पहुंची वसुंधरा चौहान ने बताया कि वह धौलपुर के छोटे से गांव की रहने वाली हैं. उसके माता-पिता किसान हैं और उसे एनसीसी का अनुभव भी था. इसलिए उसने पूरे जोश के साथ उन बदमाशों का मुकाबला किया और पुलिस की सहायता की. अब सब इंस्पेक्टर बनने के बाद उनका सपना है कि वह देश की सेवा करें. 

इसके अलावा उन्होंने महिलाओं को यह संदेश भी दिया कि महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं होता है. सिर्फ साहस की जरूरत होती है और किसी भी गंभीर समस्या का मुकाबला पूरे धैर्य व साहस के साथ करें तो निश्चित ही जीत हासिल होती है. 
       

 

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