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राजस्थान: न अस्पताल, न इलाज, न रोजगार, बदहाल है पर्यटकों की पसंदीदा जगह सम का हाल!

जैसलमेर के पास सम में रेत के टीले दुनियाभर के पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचते थे. आज वहां की स्थितियां बेहाल हैं. कोरोना महामारी ने रोजगार प्रभावित कर दिया है. यहां के लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं तक मुहैया नहीं हो पा रही हैं.

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आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं सम के कई परिवार.
आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं सम के कई परिवार.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना काल में छिना सम के लोगों का रोजगार
  • बेहाल हैं टैक्सी ड्राइवर, ऊंट पालने वाले लोग
  • स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, महामारी में परेशान हैं लोग

राजस्थान में थार के बाद सबसे ज्यादा पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन स्थल जैसलमेर का सम उपेक्षा और उदासीनता का सामना कर रहा है. सम स्थित रेत के टीलों में ऊंट की सवारी, गर्मी के दिनों में बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती थी. आज यहां के ऊंट पालने वाले स्थानीय लोग अपनी आजीविका के लिए संघर्षरत हैं. 

उनकी मुश्किलों को बदहाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने और बढ़ा दिया है. यहां टॉर्च की रोशनी में लोगों का इलाज हो रहा है. पंखे नदारद हैं तो कागज से लोग हवा कर रहे हैं. यहां के लोग दयनीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं. महामारी ने यहां के अधिकांश परिवारों को बेरोजगार कर दिया है.

एक स्थानीय निवासी मनोहर ने आजतक के साथ बातचीत करते हुए कहा, 'हम बहुत परेशान हैं. क्या करें ऊंट को क्या खिलाएं और हम क्या खाएं. पहले पर्यटकों के चलते गुजारा हो जाता था, लेकिन अब गुजारा नहीं है. ग्वार फली महंगी हो गई है. 20 किलो का दाम 400 रुपये तक पहुंच गया है. जो मिलता है, महज कुछ ही दिन चलता है. जब अंग्रेज आते थे तो कुछ धंधा भी चलता था.'  

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कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं ऊंट मालिक.

ग्राम पंचायत सदस्य जनाब खान ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि इस बार बहुत लोग कोविड पॉजिटिव हुए हैं. अस्पातलों में हालात बेहद खराब हैं. कम से कम 1000 ऊंट वाले लोग हैं, 300 जीप वाले हैं, 12-1,300 लोग इन पंचायतों में हैं, वे बेरोजगार हो गए हैं. इनकी हालत बेहद खराब है.

एक स्थानीय कलाकात कुद्दू खान ने कहा कि यह बेहद दुख की घड़ी है. मालिक से दुआ करते हैं कि यह वक्त बीत जाए. आने वाला वक्त हमारे लिए अच्छा हो. सरकार कलाकारों की मदद करे, इसके अलावा कोई अन्य चारा भी कलाकारों की मदद करने के लिए नहीं है. 

 

बेहतर इलाज के लिए परेशान हो रहे लोग.

इन क्षेत्रों में मेडिकल सुविधाओं का अभाव लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. न डॉक्टर सही वक्त पर मिल रहे हैं, न ही चेकिंग हो रही है. लोगों को एक पैसे की मदद भी नहीं मिल रही है. एक अन्य पीड़ित शख्स उस्मान खान ने कहा कि अगर डॉक्टर ठीक होता तो ऑक्सीजन की कमी नहीं होती. लाइट की सुविधा नहीं है. ऑक्सीजन भी नहीं है. कैसे लोग अपनी जान बचाएं, ये बड़ा सवाल है.

एक अन्य शख्स ने कहा कि जैसलमेर के सम इलाके में कोई नहीं आता है. जो आता है सम के अस्पताल आकर खानापूर्ति करके चला जाता है. बेहतर होगा कि सरकार टीकाकरण के लिए और जांच के लिए गांव-गांव भेजें तो काफी लोगों को फायदा मिल सकता है. डर की वजह से लोग गांव नहीं जाते हैं.

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कलेक्टर का दावा- कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में बिजली

हालांकि जिलाधिकारी ने दावा किया कि सम इलाके में कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में बिजली है. साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि हेल्थ सेंटर में पानी की सप्लाई भी है. जैसलमेर के जिलाधिकारी आशीष मोदी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वहां पर बिजली नहीं है. जब तूफान ताउते आया था तो बिजली की सप्लाई बिगड़ गई था तो कुछ देर के लिए दिक्कत हुई थी. मैंने हर जगह बात की थी. वहां की कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (CHC) में भी बात की थी तो उन्होंने बताया कि 20 मिनट के लिए बिजली गई थी और 20 मिनट में ही जनरेटर शुरू हो गया था.

उन्होंने कहा कि पानी की सप्लाई रेगुलर है. अगर उन्होंने एसडीएम को लिखा है तो मैं उसको देख लूंगा पर कोई भी बात इतनी सीरियस नहीं है. 

आजतक के पास जो चिठ्ठी है उसमें एसडीएम को लिखे हुए 12 से ज्यादा दिन हो गए हैं. डॉक्टरों ने बिजली की समस्या को लेकर एसडीएम को चिट्ठी लिखी है.

 

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