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पंजाब में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 10 जिलों के उपायुक्त बदले, सीधे सीएम हाउस से फैसला

पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने बड़ा फेरबदल करते हुए 10 जिलों के उपायुक्त बदल दिए हैं. इससे पहले भी सीएम भगवंत मान की तरफ से कई बड़े फैसले लिए गए हैं.

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पंजाब में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल (पीटीआई)
पंजाब में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पंजाब में एक्शन मोड में भगवंत मान
  • नौकरियों पर जोर, भ्रष्टाचार पर चोट

पंजाब की आम आदमी पार्टी ने बड़ा फेरबदल करते हुए 10 जिलों के उपायुक्त बदल दिए हैं. अब सीएम भगवंत मान ने सिर्फ ये फैसला नहीं लिया है बल्कि सालों पुरानी एक परंपरा को भी बदल दिया है. सूत्रों के मुताबिक पंजाब में पारंपरिक तरीके से स्थानीय विधायक या मंत्री की रजामंदी से होने वाली प्रशासनिक बदलियों के रिवाज को दरकिनार करते हुए सीधा सीएम हाउस से इन बदलियों के आदेश जारी किए गए हैं.

जो सूची सामने आई है उसके मुताबिक सरकार द्वारा अमृतसर, पटियाला, पठानकोट, मुक्तसर साहिब, फरीदकोट, होशियारपुर जैसे जिलों के उपायुक्त बदले गए हैं. IAS गुरपीत सिंह खैरा को अब मुक्तसर साहिब भेज दिया गया है, संदीप हंस को होशियारपुर ट्रांसफर किया गया है, हरदीप सिंह सुदान को अमृतसर की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं IAS प्रीति यादव को अब रूपनगर भेज दिया गया है, IAS साक्षी पटियाला की जिम्मेदारी संभालने जा रही हैं.

अब पिछले कुछ दिनों से सीएम भगवंत मान लगातार एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं. उनकी तरफ से इससे पहले राज्य में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए भी एक नंबर जारी किया गया था. दिल्ली की तर्ज पर उन्होंने भी स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई अधिकारी रिश्वत मांगे तो उसका वीडियो रिकॉर्ड कर सेंड कर दो, कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा रोजगार बढ़ाने को लेकर भी उनकी सरकार की तरफ से बड़ी पहल की गई है. उन्होंने बतौर सीएम पहला फैसला ही सरकारी दफ्तरों में 25 हजार नियुक्तियां देने पर लिया था. बाद में राज्य सरकार की तरफ से ये भी फरमान आ गया कि निजी स्कूल अपनी मर्जी से स्कूल फीस नहीं बढ़ा पाएंगे.

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वैसे प्रचार के दौरान वादा तो 300 यूनिट फ्री बिजली का भी हुआ था. ये भी कहा गया था कि राज्य सरकार का सबसे पहला कदम भी इसी दिशा में उठाया जाएगा. लेकिन अभी के लिए इस दिशा में आम आदमी पार्टी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. इसी वजह से इन दावों पर अकाली दल ने सवाल खड़े कर दिए हैं. उनकी माने तो जो वादे किए गए हैं, वो राज्य के सीमित संसाधनों को ध्यान में रखकर नहीं किए गए हैं. 

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