रोडरेज के 34 साल पुराने मामले में पटियाला जेल में 1 साल की सजा काट रहे नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ा झटका लगा है. पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सिद्धू को अच्छे आचरण के कारण गणतंत्र दिवस के मौके पर रिहा किया जाना था, लेकिन अब उनकी रिहाई फिलहाल टल गई है. सिद्धू की रिहाई के लिए उनके समर्थकों ने काफी तैयारियां पहले ही कर ली थीं. पंजाब के अलग-अलग इलाकों में स्वागत के लिए पोस्ट चिपकाए गए थे.
सिद्धू के समर्थकों ने उनके ट्विटर हैंडल से एक रूट मैप भी शेयर किया था, जिसमें बताया गया था कि किन रास्तों से सिद्धू गुजरेंगे. इस ट्वीट में उनके समर्थकों ने लोगों से सिद्धू का स्वागत करने की अपील की थी. सिद्धू की रिहाई का फैसला टलने पर उनकी पत्नी डॉ. नवजोत ने दुख जताया है.
बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू अब तक करीब 7 महीने की सजा काट चुके हैं. नियमों के मुताबिक बड़ी राहत के लिए सभी चीजें सिद्धू के पक्ष में हैं. पहले ही जेल प्रशासन ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अच्छे आचरण के चलते कई कैदियों को रिहा करने की सिफारिश पंजाब सरकार को भेजी थी, उसमें सिद्धू का भी नाम था.
दरअसल, जेल में नवजोत सिंह सिद्धू का आचरण अच्छा पाया गया था. उन्हें क्लर्क के तौर पर जेल के कामकाज की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उन्होंने जेल में नियम होने के बावजूद भी कोई छुट्टी तक नहीं ली थी, जो रियायत के लिए उनकी दावेदारी मजबूत कर रही थी. हालांकि, जेल की सिफारिश के बाद गेंद पंजाब सरकार के पाले में थी. अंतिम फैसला उन्हें ही करना था.
3 दशक पुराने मामले में काट रहे सजा
- 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे. ये जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर दूर है. उस समय सिद्धू एक क्रिकेटर थे. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था.
- इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई. बात हाथापाई तक जा पहुंची. सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.
- उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ. सेशन कोर्ट में केस चला. 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया.
- साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. इसी बीच सिद्धू राजनीति में आ गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते.
- दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट का फैसला आया. हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई. साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया.
- साल 2006 में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई.
- 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने section 323 के तहत दोषी पाया था. लेकिन गैर इरादतन हत्या (304) के तहत दोषी नहीं पाया था. इसमें सिद्धू को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था.
- 12 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ था. 25 मार्च 2022 को रिव्यू पिटिशन पर अपना फैसला कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था.
- 19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी.