इटावा से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद राम शंकर कठेरिया को आगरा की एमपी एमएलए कोर्ट ने मारपीट के एक मामले में 2 साल जेल की सजा सुनाई है. साथ ही 50000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. इस फैसले के बाद उनकी संसद सदस्यता पर भी तलवार लटक रही है. हालांकि कठेरिया ने अब जिला जज कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है. उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है अपीलीय अदालत से मुझे न्याय मिलेगा.' कठेरिया ने पूरी घटना को राजनैतिक साजिश बताया.
दअरसल किसी भी अपराध के लिए दो साल या उससे ज्यादा की सजा पाने वाले जन प्रतिनिधि को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत तत्काल अयोग्य घोषित करने का प्रावधान है.उन्हें आईपीसी की धारा 147 (दंगा) और 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) के तहत दोषी ठहराया गया है.
फैसला सुनाए जाने के बाद कठेरिया मायूस नजर आए और उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला मंजूर है लेकिन वह आगे अपील भी करेंगे. कठेरिया ने कहा कि राज्य में बसपा सरकार के दौरान, मेरे खिलाफ विभिन्न राजनीति से प्रेरित मामले दर्ज किए गए थे, यह उनमें से एक था.
कठेरिया ने कही ये बात
यह मामला 16 नवंबर, 2011 का है, जब कठेरिया - जो उस समय आगरा के सांसद थे. फैसले में इटावा सांसद रामशंकर कठेरिया को दोषी करार दिया गया. अदालत के फैसले के बाद सांसद रामशंकर कठेरिया ने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने 12 साल पहले हुई घटना की जानकारी दी. सांसद ने बताया कि एक महिला उनके पास रोते हुए आई थी.
महिला बिजली कंपनी के अधिकारियों से परेशान थी, महिला उनके दफ्तर में बैठकर सुसाइड करने की बात कह रही थी. महिला की पीड़ा सुनने के बाद वह अधिकारियों से बातचीत करने पहुंचे थे. बातचीत के दौरान हंगामा हो गया था. टोरेंट पावर के सुरक्षा निरीक्षक समेधी लाल नें हरी पर्वत थाने में तहरीर देकर सांसद कठेरिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
कौन हैं कठेरिया
58 वर्षीय कठेरिया, जो आगरा में डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर भी हैं, कम उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए थे. वह आगरा लोकसभा सीट से दो बार सांसद चुने गए 2019 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें इटावा से मैदान में उतारा और वहां से तीसरी बार सांसद बने. यहां उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को करीब 65 हजार मतों से शिकस्त दी थी.
दलित उपजाति धानुक समुदाय से आने वाले राम शंकर कठेरिया को 2014 में भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था. उन्होंने नवंबर 2014 से जुलाई 2016 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया. वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति- जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं. इसके अलावा वह रक्षा पर संसद की स्थायी समिति और गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य हैं.
कठेरिया पर हैं इतने मामले दर्ज
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दायर हलफनामे के अनुसार, कठेरिया के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित थे, जिनमें से अधिकांश 2010 और 2013 के बीच दर्ज किए गए थे. नौ मामलों में सामान्य आरोप "दंगा" था. अप्रैल 2019 में लोकसभा चुनावों से पहले, कठेरिया पर इटावा जिले के पथरा में एक पुलिसकर्मी पर हमला करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
बाद में उसी साल जुलाई में, उन पर आगरा में यमुना एक्सप्रेसवे पर एक टोल प्लाजा कर्मचारियों पर हमले से संबंधित मामले में मामला दर्ज किया गया था. उन पर टोल प्लाजा कर्मचारियों की मारपीट करने का आरोप लगा था. मारपीट की यह घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी. हालांकि कठेरिया ने आरोप लगाया था कि टोल प्लाजा के कर्मचारियों ने ही उनके सुरक्षा गार्डों पर हमला किया था, जिससे उन्हें आत्मरक्षा में गोली चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा.