घाटी में कश्मीरी पंडितों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. दहशतगर्द टारगेट किलिंग कर रहे हैं. लिहाजा प्रवासी लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं. इस मामले में शिवसेना और NCP ने केंद्र सरकार पर हमला किया है. जहां शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि कश्मीर फिर से जल रहा है, लेकिन केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नेता फिल्मों के प्रचार में व्यस्त हैं. वहीं NCP के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि बीजेपी के नेता राजनीतिक उद्देश्य के लिए कश्मीर फाइल्स फिल्म को प्रमोट तो करते हैं, लेकिन कश्मीरी पंडितों की जान बचाने में पूरी तरह से फेल है.
कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि कश्मीर में स्थिति नियंत्रण से बाहर है. इन दिनों कश्मीर फिर से जल रहा है. लेकिन दिल्ली (केंद्र सरकार) के महत्वपूर्ण लोग फिल्मों के प्रचार में व्यस्त हैं. कश्मीरियों की सुनने को कोई तैयार नहीं है. वहां हालात ऐसे हो गए हैं कि कश्मीरी पंडित आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में सवाल ये है कि सरकार क्या कर रही है. उन्होंने कहा कि मैं आज महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य लोगों के साथ अयोध्या जा रहा हूं. आदित्य ठाकरे 15 जून को अयोध्या जाएंगे. इस दौरे के लिए हमारा कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.
NCP के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने भी हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार कश्मीरी हिंदुओं और पंडितों की रक्षा करने में पूरी तरह फेल रही है. देश के लोगों की रक्षा करना गृहमंत्री अमित शाह का कर्तव्य है, लेकिन बीजेपी नेता अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए कश्मीर फाइल्स फिल्म को बढ़ावा देने में व्यस्त हैं.
'टारगेट किलिंग खुफिया तंत्र की विफलता'
NCP नेता महेश तापसे ने कहा कि अमित शाह को सभी कश्मीरी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. घाटी में टारगेट किलिंग जैसी घटनाएं खुफिया तंत्र की विफलता है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को धर्म और जाति आधारित राजनीति से बाहर निकलना चाहिए और भारत के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.
'कश्मीरी पंडितों की वापसी महज एक जुमला'
महेश तापसे ने कहा कि केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों से घाटी में सुरक्षित वापसी का वादा किया था, लेकिन ये वादे एक और जुमला बन गए हैं, क्योंकि मोदी सरकार ने कश्मीरी पंडितों को उनकी मातृभूमि में फिर से स्थापित करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया. महाराष्ट्र एकमात्र ऐसा राज्य था जिसने विस्थापित कश्मीरी पंडितों को सेफ पैसेज मुहैया कराया, जबकि बीजेपी ने सिर्फ उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया.