एक देश, एक चुनाव के विधेयक को मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी है. सूत्रों का कहना है कि अब सरकार इस बिल को सदन के पटल पर रख सकती है. ये विधेयक अगले सप्ताह इसी शीतकालीन सत्र में लाए जाने की संभावना है.
समाजवादी पार्टी (SP) के नेता और पूर्व सांसद एसटी हसन ने कहा,'ये संभव नहीं लगता है. जमीनी हकीकत कुछ और है. सारे चुनाव एक साथ होना क्या ये पॉसिबल है.अगर सरकार गिर गई तो क्या फिर सबके चुनाव होंगे. चाहते क्या हैं ये बताए तो की किस तरह से करेंगे.'
'नहीं चल पाएगा वन नेशन वन इलेक्शन'
सपा नेता एसटी हसन ने आगे कहा,'वन नेशन वन इलेक्शन पॉसिबल नहीं है. ये नहीं चल पाएगा. ये संविधान के लिए भी खराब है और हम डिक्टेटरशिप की और बढ़ रहे हैं. अनेकताओं में अनेकता हमारी विशेषता है. थोड़े दिन में कहेंगे वन नेशन वन रिलीजन. ये सब संभव नहीं है.'
सभी दलों से लिए जाएंगे सुझाव
बता दें कि सबसे पहले जेपीसी की कमेटी का गठन किया जाएगा और सभी दलों के सुझाव लिए जाएंगे. अंत में यह विधेयक संसद में बिल लाया जाएगा और इसे पास करवाया जाएगा. इससे पहले रामनाथ कोविंद की कमेटी ने सरकार को एक देश, एक चुनाव से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
JPC के पास भेजने का प्लान
सूत्रों का कहना है कि लंबी चर्चा और आम सहमति बनाने के लिए सरकार इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की योजना बना रही है. जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी और इस प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की जरूरत पर जोर देगी.
एक साथ चुनाव कराने की तैयारी
देश में अभी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं. यह विधेयक कानून बनने के बाद देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की तैयारी है. हालांकि, इस सरकार के इस कदम का कांग्रेस और AAP जैसी कई इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने विरोध किया है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इससे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा होगा. नीतीश कुमार की जेडी(यू) और चिराग पासवान जैसे प्रमुख NDA सहयोगियों ने एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है.