
प्रियंका गांधी के रूप में नेहरू-गांधी परिवार से एक और चेहरे की चुनावी राजनीति में एंट्री हो गई है. प्रियंका गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार हैं. प्रियंका गांधी नेहरू-गांधी परिवार से चुनावी राजनीति में उतरने वाली 10वीं सदस्य हैं. साउथ की बात करें तो वह दक्षिण के रास्ते चुनावी सफर शुरू करने वाली इस परिवार की दूसरी ही सदस्य हैं. प्रियंका से पहले उनकी मां सोनिया गांधी ने दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़कर राजनीति में एंट्री ली थी जिसमें एक सीट दक्षिण भारत के कर्नाटक की बेल्लारी भी थी.
परिवार की महिला सदस्यों की बात करें तो चुनावी राजनीति में उतरने वाली प्रियंका गांधी अपनी दादी इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और मेनका गांधी के बाद परिवार की चौथी महिला सदस्य हैं. प्रियंका गांधी से पहले नेहरू-गांधी परिवार के नौ सदस्य चुनावी राजनीति में रह चुके हैं. प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से शुरू हुई इस परिवार और सियासत की जुगलबंदी को अब तक इंदिरा गांधी से लेकर संजय गांधी और फिरोज गांधी से लेकर वरुण गांधी और राहुल गांधी तक ने जारी रखा. अब इस कड़ी में प्रियंका गांधी का नाम भी जुड़ गया है. आइए नजर डालते हैं नेहरू-गांधी परिवार के उन सदस्यों पर जो चुनावी राजनीति में रहे हैं.
जवाहरलाल नेहरू
देश के पहले और लंबे वक्त तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले परिवार के पहले सदस्य थे. पंडित नेहरू ने आजादी के आंदोलन में सक्रिय सहभागिता की और आजादी के बाद स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. साल 1912 से ही सियासत में सक्रिय पंडित नेहरू ने पहला चुनाव आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में लड़ा. पंडित नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1964 तक करीब 17 साल तक बतौर प्रधानमंत्री देश की सरकार की अगुवाई की.
इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. पंडित नेहरू के निधन के बाद इंदिरा ने 1967 में उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुनावी राजनीति में एंट्री ली थी. इंदिरा गांधी साल 1966 से 77 और फिर 1980 से 1984 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं. पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बांग्लादेश का स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व में आना और देश में लगाई गई इमरजेसी, ये दो चीजें भी आयरन लेडी के रूप में प्रसिद्धि पाने वाली इंदिरा गांधी की पहचान से जुड़ी हुई हैं. इमरजेंसी की आज भी आलोचना होती है.
फिरोज गांधी
इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी भी स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय रहे थे. स्वतंत्रता सेनानी फिरोज आजादी के बाद पहले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर प्रतापगढ़-रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और जीते. 1957 में हुए दूसरे आम चुनाव में फिरोज गांधी रायबरेली सीट से निर्वाचित हुए थे.
संजय गांधी
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की दिलचस्पी युवावस्था से ही राजनीति में थी. विदेश से लौटे संजय सियासत में सक्रिय हो गए और इमरजेंसी हटने के बाद 1977 में जब पहले आम चुनाव हुए, यूपी की अमेठी सीट से चुनावी दंगल में उतर गए. इमरजेंसी विरोधी लहर में हुए इस चुनाव में संजय गांधी की बड़ी हार हुई लेकिन 1980 में वह जीत के साथ संसद पहुंचने में सफल रहे. 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में संजय गांधी का निधन हो गया था.

राजीव गांधी
देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपने छोटे भाई संजय गांधी के निधन के बाद चुनावी राजनीति में आए थे. राजीव ने संजय गांधी के निधन से रिक्त हुई अमेठी सीट के लिए साल 1981 में हुए उपचुनाव में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे. साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और इसी साल हुए आम चुनावों में उनकी अगुवाई में प्रचंड जीत के साथ कांग्रेस सत्ता में वापसी करने में सफल रही थी जो आज भी रिकॉर्ड है. राजीव गांधी की 1991 के आम चुनाव में प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में हत्या हो गई थी.
मेनका गांधी
नेहरू-गांधी परिवार से सियासत में एंट्री करने वाली दूसरी महिला सदस्य मेनका गांधी पहली ऐसी सदस्य थीं जिसने कांग्रेस के सिंबल पर चुनावी डेब्यू नहीं किया. मेनका गांधी 1984 के चुनाव में अपनी पार्टी बनाकर अमेठी से चुनावी सफर का आगाज किया था. हालांकि, वह हार गई थीं और इसके बाद पीलीभीत का रुख किया जिसे उनका गढ़ भी कहा जाता है. मेनका गांधी हालिया चुनाव में सुल्तानपुर सीट से बीजेपी की उम्मीदवार थीं जहां उन्हें मात मिली थी.
सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने अपने पति राजीव गांधी की हत्या के कई साल बाद राजनीति में एंट्री करते हुए साल 1997 में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की थी. इसके बाद वह साल 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं थीं. उन्होंने अपने पहला चुनाव साल 1999 में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी के साथ ही कर्नाटक की बेल्लारी लोकसभा सीट से लड़ा. 2004 में उन्होंने रायबरेली का रुख किया और 2019 के आम चुनाव तक वह इस सीट से लगातार संसद पहुंचती रहीं. फिलहाल, सोनिया गांधी राज्यसभा सांसद हैं.
वरुण गांधी
नेहरू-गांधी परिवार से अगली पीढ़ी के रूप में 2004 के चुनाव से वरुण गांधी की एंट्री हुई. संजय गांधी के पुत्र वरुण गांधी ने 2004 में बीजेपी के टिकट पर पीलीभीत सीट से चुनावी राजनीति में पदार्पण किया और जीतकर संसद पहुंचने में सफल रहे. वरुण गांधी यूपी की ही सुल्तानपुर सीट से भी सांसद रहे हैं. हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वरुण का टिकट काट दिया था.
यह भी पढ़ें: वायनाड: प्रियंका गांधी को पूर्व सैनिक की मां ने गले लगाया, गिफ्ट की माला, सामने आया दिल छू लेने वाला VIDEO
राजीव गांधी के पुत्र राहुल गांधी ने साल 2004 में परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से चुनावी डेब्यू किया था. इस सीट से वह 2009 और 2014 में भी सांसद रहे लेकिन 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2019 में राहुल गांधी ने अमेठी के साथ ही केरल की वायनाड से भी चुनाव लड़ा था. वायनाड से वह संसद पहुंचने में सफल रहे थे.
यह भी पढ़ें: वायनाड में प्रियंका गांधी की जोरदार चुनावी एंट्री, नामांकन से पहले रोड शो में जनसैलाब, राहुल-वाड्रा भी साथ मौजूद
हालिया चुनाव में राहुल गांधी वायनाड के साथ ही रायबरेली से भी मैदान में उतरे और दोनों सीटों से जीत हासिल की. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वायनाड सीट छोड़ दी थी जिसकी वजह से इस सीट पर अब उपचुनाव हो रहे हैं. राहुल गांधी के इस्तीफे से रिक्त हुई वायनाड सीट के उपचुनाव में प्रियंका गांधी कांग्रेस की उम्मीदवार हैं.