scorecardresearch
 

चुनावों की रणनीति ही बनाएंगे या चुनाव भी लड़ेंगे प्रशांत किशोर?

चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor), फिलहाल पश्चिम बंगाल में TMC की अंदरूनी कलह की वजह बने हुए हैं, वहीं खबर है कि विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद, अप्रैल में वे अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में एक बड़ी घोषणा कर सकते हैं.

Advertisement
X
जल्द ही बड़ी घोषणा करेंगे प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
जल्द ही बड़ी घोषणा करेंगे प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कांग्रेस में शामिल होने वाले थे प्रशांत किशोर
  • कुछ मामलों पर असहमति की वजह से नहीं बनी बात: प्रियंका गांधी

चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor), अप्रैल 2022 के पहले सप्ताह में अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में एक बड़ी घोषणा करने जा रहे हैं. प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों का कहना है कि टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के सी चंद्रशेखर राव के साथ उनके रिश्ते मजबूत हैं. 
 
प्रशांत किशोर के खेमे का दावा है कि तृणमूल के भीतर अशांति और अंदरूनी कलह की खबरों को बढ़ा चढ़ाकर बताया जा रहा है. तृणमूल पार्टी के वरिष्ठ लोगों और युवा पीढ़ी के बीच एक समझौता करने की कोशिश कर रही है. फिर 'एक आदमी, एक पद' का मुद्दा भी है. पुराने समय के लोगों को याद होगा कि प्रधान मंत्री पी वी नरसिम्हा राव के 1991-96 के कार्यकाल में, 'एक आदमी, एक पद' के नीति लागू न करने से, इतनी पुरानी पार्टी विभाजित हो गई. ममता, राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस के साथ रहीं, वहीं अर्जुन सिंह, एन डी तिवारी, शीला दीक्षित, एमएल फोतेदार, मोहसिना किदवई और कई अन्य लोगों ने कांग्रेस छोड़ दी थी.

तृणमूल के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि ममता बनर्जी के कुछ करीबी लोग, पार्टी संगठन या सरकार में एक साथ कई पदों पर रहे हैं. ममता के भतीजे, अभिषेक, जिन्हें अक्सर अनौपचारिक रूप से तृणमूल प्रमुख के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है, उनके बारे में कहा जाता है कि वे पार्टी के आधार को मजबूत और पार्टी में नई ऊर्जा का संचार करना चाहते हैं. 

प्रशांत किशोर के समर्थकों और शुभचिंतकों का उन पर दबाव रहा है कि वे 10 मार्च के बाद से सार्वजनिक जीवन में पूरी तरह से राजनीतिक रंग में रंग जाएं. प्रशांत किशोर ने जनता दल [यूनाइटेड] के उपाध्यक्ष के तौर पर काम किया, जहां कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने अपनी उंगलियां जला ली थीं. 2020-21 के दौरान, किशोर कांग्रेस के साथ बातचीत कर रहे थे, जहां सोनिया, राहुल और प्रियंका ने उनमें खासी रुचि दिखाई थी. हालांकि, बात नहीं बनी थी. प्रियंका ने हाल ही में प्रशांत किशोर के बारे में कहा था कि कभी किशोर- उर्फ ​​'पीके' कांग्रेस में शामिल होने को थे.

Advertisement

उसने एक न्यूज़ चैनल से कहा था कि पार्टनरशिप कई कारणों से नहीं हो सकी. कुछ कारण उनकी तरफ से थे, कुछ हमारी तरफ से. मैं इसकी जड़ में नहीं जाना चाहती. मोटे तौर पर समझिए कि कुछ मुद्दों पर असहमति थी, जिससे बात आगे बढ़ नहीं पाई. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस में किसी बाहरी व्यक्ति को लाने की अनिच्छा से इसका कोई लेना-देना नहीं है.

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस की कहानी में किशोर के पक्ष में और भी कुछ है. जबकि प्रियंका यह कहने से कतराती हैं कि कांग्रेस और किशोर के बीच 'पॉज बटन' से, 'फॉरवर्ड' या 'फास्ट फॉरवर्ड' मूवमेंट की संभावना है, किशोर के करीबी सूत्र किसी भी संभावना से इंकार नहीं करते हैं.

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में विधानसभा चुनावों के 10 मार्च को आने वाले फैसले का विपक्षी दलों में खास असर होना तय है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन की जीत के साथ-साथ उत्तराखंड में कांग्रेस की जीत और/या पंजाब में सत्ता बनाए रखना, गैर-भाजपा और एनडीए पार्टियों का उत्साह बढ़ाने के लिए तैयार है. हालांकि, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा, मणिपुर में भाजपा की जीत, कांग्रेस सहित विपक्ष को न सिर्फ विभाजित करेगी बल्कि मनोबल भी गिराएगी और नए पुनर्गठन के लिए मंच तैयार करेगी.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement