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न PM मोदी-न महामहिम मुर्मू... नई संसद के उद्घाटन के लिए ओवैसी ने उछाला ये नाम

Parliament Building Inauguration: AIMIM चीफ असददुद्दीन ओवैसी ने नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए एक नई बहस खड़ी कर दी है. उनके मुताबिक इस भवन का उद्घाटन न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए. उन्होंने इसके लिए एक तीसरे नाम का सुझाव दे दिया है. हालांकि उन्होंने इस बात पर जरूर सहमति जतायी है कि देश में संसद की नई बिल्डिंग की जरूरत है.

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नई संसद की बिल्डिंग को लेकर छिड़े विवाद पर बोले ओवैसी (फाइल फोटो)
नई संसद की बिल्डिंग को लेकर छिड़े विवाद पर बोले ओवैसी (फाइल फोटो)

New Parliament Building: नई संसद को लेकर देश में राजनीति गरम हो चुकी है. 19 विपक्षी दलों ने इसके उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है. दरअसल 18 मई को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पीएम नरेंद्र मोदी को इस भवन के उद्घाटन के लिए न्योता भेजा, जिसके बाद इसका विरोध शुरू हो गया. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इसका उद्घाटन करवाना चाहिए. वहीं AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने अब इस मामले में बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों से अलग बयान दे दिया.

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ओवैसी ने कहा कि नई संसद की जरूरत है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि मौजूदा संसद भवन को फायर डिपार्टमेंट की एनओसी ही नहीं है. उन्होंने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसका एजेंडा एक राष्ट्र, एक चुनाव था. तकरीबन सभी पार्टियां इससे सहमत थीं. हालांकि मैंने और सीताराम येचुरी ने इसका विरोध किया था. मैंने नई लोकसभा बनाने का प्रस्ताव दिया था. उस वक्त पीएम मुझे पर बहुत नाराज हुए थे.

ओवैसी ने कहा कि हमारा बस इस बात पर विरोध है कि पीएम नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन क्यों कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि थ्योरी ऑफ सेप्रेशन ऑफ पावर संविधान का हिस्सा है. अगर पीएम उद्घाटन करेंगे तो ये संविधान का उल्लंघन होगा. प्रधानमंत्री को नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करना चाहिए. प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति को भी इसका उद्घाटन नहीं करना चाहिए.

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थ्योरी ऑफ सेप्रेशन ऑफ पावर से मतलब लोकतंत्र के अलग-अलग स्तंभ (कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका) से है. जो अलग-अलग संस्थाओं के रूप में अलग-अलग काम करते हैं.

उन्होंने नाम सुझाते हुए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसका उद्घाटन करवाना चाहिए. अगर उनसे उद्घाटन नहीं कराया जाएग तो हम (AIMIM) भी समारोह में शामिल नहीं होंगे.

इन दलों ने किया है समारोह का विरोध

19 विपक्षीय दलों ने बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.

लेकिन ये दल कार्यक्रम में होंगे शामिल

उद्घाटन कार्यक्रम में बसपा चीफ मायावती के अलावा जगन मोहन रेड्डी की  YSRCP और टीडीपी भी शामिल होंगे. वाईएसआरसीपी (युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी) से सांसद विजयसाई रेड्डी, अकाली दल और टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) के शीर्ष नेतृत्व ने इसकी पुष्टि की है. शिअद नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन देश के लिए गर्व की बात है, इसलिए हमने फैसला किया है कि शिअद पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल होगी. हम विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत नहीं हैं. इन दलों के अलावा नवीन पटनायक की बीजू जनता दल भी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकती है.

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विपक्षी दलों ने जारी किया संयुक्त बयान 

उद्घाटन कार्यक्रम का बायकॉट करते हुए विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी किया है. संयुक्त बयान में कहा- नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है. हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है. जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उसकी हमारी अस्वीकृति के बावजूद हम अपने मतभेदों को दूर करने और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे.

हालांकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है.

जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है, तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता. हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक निर्णय की घोषणा करते हैं. हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ शब्दों और भावनाओं में लड़ना जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे.  

राहुल गांधी ने भी दिया बयान

राहुल गांधी ने ट्वीट किया- राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना - यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है. संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है.

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1,200 करोड़ में बनकर तैयार होगी बिल्डिंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. इस कार्य के लिए संसद के दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 को आग्रह किया था. नई संसद (New Parliament) को बनाने का टेंडर टाटा प्रोजेक्ट को साल 2020 के सितंबर में दिया गया था. इसकी लागत 861 करोड़ रुपये मानी गई थी. फिर बाद में कुछ अतिरिक्त कामों के चलते यह कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंची थी.

चार मंजिला संसद भवन में सदस्यों के लिए लाउंज, पुस्तकालय, समिति कक्ष के साथ ही पार्किंग के लिए भी पर्याप्त जगह होगी. संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 550 जबकि राज्यसभा में 250 माननीय सदस्यों की बैठक की व्यवस्था है. भविष्य की जरूरतों को देखते हुए संसद के नवनिर्मित भवन में लोकसभा में 888 जबकि राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठक की व्यवस्था की गई है. 

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