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जॉर्ज फर्नांडिस ने कहा था- 'तो अटल के बाद बीजेपी के कप्तान होते कल्याण सिंह'

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उन्होंने अगर दो बार बीजेपी ना छोड़ी होती और दल-बदल का तरीका ना अपनाया होता तो आज के दौर में वो बीजेपी के सबसे बड़े नेता होते. उस दौर में भी अटल-आडवाणी के बाद वे तीसरे नंबर के नेताओं में शुमार होते.

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... तो कल्याण सिंह होते बीजेपी के बड़े नेता (फाइल फोटो)
... तो कल्याण सिंह होते बीजेपी के बड़े नेता (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद दे दिया था इस्तीफा
  • मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना उनकी सबसे बड़ी भूल
  • एक सख्त, ईमानदार और कुशल प्रशासक के तौर पर भी उभरे

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का शनिवार को निधन हो गया. 89 साल के कल्याण सिंह लंबे वक्त से बीमार थे और लखनऊ पीजीआई में भर्ती थे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह, लगभग तीन दशक पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद एक प्रमुख हिंदू नेता के तौर पर उभरे थे. हालांकि बाद में उन्होंने खुद ही इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

हालांकि कल्याण सिंह ने एक बार खुद ही स्वीकार किया था कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना उनकी सबसे बड़ी भूल थी. उन्होंने कहा था कि अगर मैं इस्तीफे के लिए तैयार नहीं होता तो अटल बिहारी वाजपेयी मुझे हटा नहीं सकते थे. इसी दर्द में बाद में कल्याण सिंह ने बीजेपी को भी अलविदा कह दिया था.

सख्त फैसले के लिए जाने गए कल्याण सिंह

कल्याण सिंह का पहला कार्यकाल बाबरी मस्जिद विध्वंस के अलावा एक सख्त, ईमानदार और कुशल प्रशासक के तौर पर भी याद किया जाता है. वो खुद पिछड़े वर्ग से आते थे लेकिन उन्हें सभी जाति के लोगों का वोट मिला. नकल अध्यादेश एक बड़ा फैसला था. बोर्ड परीक्षाओं में पहली बार नकलविहीन परीक्षाएं हुईं थी. समूह 'ग' की भर्तियों में बेहद पारदर्शिता बरती गई.

हालांकि इन वजहों से सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी भी बढ़ी. उस वक्त विपक्ष के नेताओं ने लखनऊ की सड़कों पर पोस्टर लहराए थे, जिसमें बच्चे हाथ में हथकड़ियां पहने खड़े थे. तब राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री हुआ करते थे.

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बीजेपी में अटल-आडवाणी के बाद बड़ा चेहरा

बीजेपी को मजबूत करने में जितनी भूमिका अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की थी, कल्याण सिंह की भी उससे कम नहीं थी. वाजपेयी बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा हुआ करते थे तो कल्याण सिंह ओबीसी चेहरे के साथ-साथ हिंदू-हृदय सम्राट के तौर पर जाने जाते थे. 

कल्याण सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी, दोनों ही नेताओं ने आरएसएस से निकलकर जनसंघ से होते हुए बीजेपी का गठन किया और पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में भूमिका अदा की. हालांकि, इसी के साथ कल्याण सिंह और वाजपेयी के बीच राजनीतिक खींचतान और मनमुटाव जैसी खबरें भी आती रहीं. अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह ने एक ही दौर में सियासत में कदम रखा और एक ही राजनीतिक विचाराधारा के साथ आगे बढ़े.

दो बार बीजेपी नहीं छोड़ी होती तो होते बड़े नेता

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उन्होंने अगर दो बार बीजेपी ना छोड़ी होती और दल-बदल का तरीका ना अपनाया होता तो आज के दौर में वो बीजेपी के सबसे बड़े नेता होते. उस दौर में भी अटल-आडवाणी के बाद वे तीसरे नंबर के नेताओं में शुमार होते.

कल्याण सिंह के बारे में जॉर्ज फर्नांडिस ने एक बार कहा था, ''राजनीति में कामयाबी के लिए धैर्य की जरूरत होती है. अगर कल्याण सिंह ने धैर्य दिखाया होता तो वही अटल के बाद भाजपा के कप्तान होते.''

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छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त कर दी गई. साल 1997 में कल्याण सिंह दोबारा यूपी के मुख्यमंत्री बने. इस बार वो दो साल ही मुख्यमंत्री रह पाये और उनकी पार्टी ने ही उन्हें हटाकर दूसरा मुख्यमंत्री बैठा दिया.

और पढ़ें- कल्याण सिंह के निधन पर PM बोले- वे जमीनी नेता थे, राजनाथ ने कहा-बड़ा भाई खोया

कल्‍याण सिंह ने दो बार भारतीय जनता पार्टी से नाता भी तोड़ा. पहली बार 1999 में पार्टी नेतृत्व से मतभेद के चलते उन्होंने भाजपा छोड़ी. उसके बाद वर्ष 2004 में उनकी भाजपा में वापसी हुई. इसके बाद 2009 में सिंह ने भाजपा के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया और आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा में अपमानित किया गया. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाकर अपने विरोधी मुलायम सिंह यादव से भी हाथ मिलाने से परहेज नहीं किया.

बीजेपी ने यूपी में सरकार बनाने के लिए कल्याण सिंह को किया आगे

नब्बे के दशक में मण्डल और कमण्डल की राजनीति की शुरुआत हो चुकी थी. यानी आरक्षण और राम मंदिर आंदोलन. 30 अक्टूबर, 1990 को मुलायम सिंह यादव के यूपी के मुख्यमंत्री रहते हुए अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाई गई जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई. बीजेपी ने उनका मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया. जिसके बाद कल्याण सिंह ने 1991 में पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली.

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मुख्यमंत्री बनने के बाद कल्याण सिंह ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने के लिए शपथ ली थी.

 

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