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मिशन 2024: लोकसभा चुनाव से पहले साथ आएंगे बीजेपी-टीडीपी? चर्चा तेज

अगले साल लोकसभा चुनाव और आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों को लेकर केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के आंध्र प्रदेश की विपक्षी पार्टी टीडीपी से गठबंधन की चर्चा तेज हो गई है. ये चर्चा अनायास भी नहीं, इसे और हवा दे दी है पोर्ट ब्लेयर नगर परिषद चेयरमैन चुनाव के परिणाम ने.

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जेपी नड्डा और चंद्रबाबू नायडू (फाइल फोटो)
जेपी नड्डा और चंद्रबाबू नायडू (फाइल फोटो)

देश में अगले साल आम चुनाव होने हैं और इसे लेकर अभी से ही सियासी बिसात बिछने लगी है. एक तरफ विपक्षी एकजुटता की बात हो रही है. तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस को नसीहत दे रही है तो वहीं तेलंगाना की सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव अलग ही ताल ठोक रहे हैं. इन सबके बीच सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कुनबा बढ़ाने की कोशिशों में भी जुट गई है.

सियासी गलियारों में 2024 के चुनाव से पहलें बीजेपी और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के फिर साथ आने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. साल 2024 में लोकसभा चुनाव और आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि तेलंगाना में इसी साल चुनाव होने हैं. इन राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और टीडीपी के फिर से साथ आने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है.

ऐसा अनायास भी नहीं. अभी पिछले सप्ताह ही पोर्ट ब्लेयर के नगर परिषद चुनाव में बीजेपी-टीडीपी गठबंधन ने एस सेल्वी को चेयरमैन पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार बनाया था. एस सेल्वी ने इन चुनावों में बड़ी जीत दर्ज की. पोर्ट ब्लेयर नगर परिषद चुनाव में बीजेपी-टीडीपी गठबंधन की जीत के बाद सियासी गलियारों में ये चर्चा तेज हो गई है कि अब दोनों ही दल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी साथ आ सकते हैं.

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गठबंधन की चर्चा से नाखुश जन सेना पार्टी

बीजेपी का आंध्र प्रदेश में अभिनेता पवन कल्याण की जन सेना पार्टी से गठबंधन है. पवन कल्याण की जन सेना पार्टी को 2019 के विधानसभा चुनाव में 5.53 प्रतिशत वोट शेयर के साथ केवल एक सीट पर जीत मिली थी. सूत्रों की मानें तो आंध्र प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी जन सेना पार्टी, टीडीपी के साथ गठबंधन की चर्चा से खुश नहीं है. दूसरी तरफ, बीजेपी के रणनीतिकारों को लगता है कि टीडीपी से गठबंधन से तेलंगाना के चुनाव में पार्टी को फायदा मिल सकता है.

2018 में दो सीटों पर सिमट गई थी टीडीपी

टीडीपी का अविभाजित आंध्र प्रदेश में टीडीपी का उन हिस्सों में भी अच्छा जनाधार था जो अब तेलंगाना में हैं. हालांकि, टीडीपी को 2018 के विधानसभा चुनाव में केवल दो सीटों पर ही जीत मिल सकी थी. टीडीपी को तेलंगाना राज्य गठन का विरोध करना भारी पड़ गया था और पार्टी का वोट शेयर पांच फीसदी से भी नीचे, महज 3.5 फीसदी रहा था. बीजेपी की नजर तेलंगाना में टीडीपी के पुराने जनाधार पर है और पार्टी को लगता है कि विधानसभा चुनाव में बीआरएस को मात देकर सरकार बनानी है तो इसमें टीडीपी का संगठन और वोटर निर्णायक भूमिका निभा सकता है.

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पिछले चुनाव में बीजेपी को मिली थी एक सीट

तेलंगाना के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. बीजेपी को 7.1 फीसदी वोट शेयर के साथ महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में सुधार हुआ और पार्टी ने सूबे की कुल 17 में से चार सीटों पर जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 23.53 फीसदी वोट मिले और वोट शेयर के लिहाज से कांग्रेस को पीछे छोड़कर दूसरे पायदान पर पहुंच गई.

निकाय चुनाव में बीजेपी को मिले थे 35 फीसदी से अधिक वोट

साल 2020 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव हुए. इस चुनाव में बीजेपी 2019 का करिश्मा दोहराते हुए 35.56 प्रतिशत वोट प्राप्त करने में सफल रही. बीजेपी को लगता है कि टीडीपी के तेलंगाना में कम वोट भले ही हों लेकिन बीआरएस से सीधी लड़ाई में उसे गठबंधन का फायदा मिल सकता है. बीजेपी के रणनीतिकारों की नजर इसी आधार और संगठन का फायदा उठाने पर है.

आंध्र प्रदेश में टीडीपी को मिले थे करीब 40 फीसदी वोट

आंध्र प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में टीडीपी को 23 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, पार्टी का वोट शेयर 39.17 प्रतिशत रहा था. इसी तरह पिछले लोकसभा चुनाव में भी टीडीपी ने 39.59 प्रतिशत वोट शेयर के साथ तीन सीटें जीती थीं. बीजेपी को एक प्रतिशत से भी कम वोट मिला था और जन सेना पार्टी को 6.30 प्रतिशत वोट मिले थे.

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आंध्र प्रदेश में सत्ता विरोधी माहौल का फायदा 

आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी ने पिछले चार साल से केंद्र की मोदी सरकार के साथ बेहतर तालमेल बनाए रखा है. कई विवादास्पद विधेयकों पर आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी केंद्र सरकार के साथ खड़ी नजर आई है. दिल्ली के शराब घोटाले में वाईएसआरसीपी के एक सांसद का नाम आने के बाद से मुख्यमंत्री जगन मोहन दबाव में नजर आ रहे हैं. इन सबके बीच बदले हालात में बीजेपी राज्य में सत्ता विरोधी माहौल का फायदा उठाना चाहती है और ऐसे में उसे लगता है कि टीडीपी से गठबंधन फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

 

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