अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की आहट के बीच हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में योगाभ्यास करती एक युवती नजर आ रही है. ध्यान, संतुलन और ऊर्जा से भरपूर यह दृश्य आने वाले योग दिवस की तैयारी के बीच का है. हर साल 21 जून को मनाया जाने वाला यह दिन न सिर्फ शारीरिक सेहत, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति का उत्सव बन गया है.
बदलती लाइफस्टाइल के बीच योग एक नई पीढ़ी की पसंद बनकर उभरा है जो खुद से जुड़ने और भीतर की शक्ति को पहचानने का रास्ता दिखाता है. अहमदाबाद स्थित एनसीसी मुख्यालय में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ से पहले योगाभ्यास करते एनसीसी कैडेट्स. अनुशासन, एकाग्रता और स्वास्थ्य का संदेश देता यह दृश्य बताता है कि देश का युवा अब न केवल शारीरिक मजबूती, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मचिंतन की ओर भी बढ़ रहा है.
हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में सामूहिक योगाभ्यास करते लोगों का जज्बा देखते ही बन रहा है. हर साल 21 जून को मनाया जाने वाला यह दिन पहली बार 2015 में तब शुरू हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे वैश्विक मान्यता दी. अब ये सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं बल्कि दुनियाभर में हेल्दी लाइफस्टाइल का प्रतीक बन चुका है. इस साल 2025 में 11वां योग दिवस मनाया जा रहा है.
जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले 'अवेकनिंग सोल्स' समूह द्वारा आयोजित योग सत्र में भाग लेते लोगों का उत्साह साफ नजर आ रहा है. भोर की शांत फिजाओं में चल रहे इस अभ्यास का मकसद सिर्फ शरीर को लचीला बनाना नहीं बल्कि मन को स्थिर करना और आत्मा से जुड़ना भी है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जैसे-जैसे करीब आता है, देशभर में ऐसे छोटे-बड़े आयोजन लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि योग कोई परंपरा भर नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है – जो तनाव, थकान और भागदौड़ के बीच भी संतुलन और ऊर्जा का संचार करता है.
अहमदाबाद में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के कैडेटों ने सामूहिक योगाभ्यास कर अनुशासन और संतुलन का संदेश दिया. 21 जून को मनाए जाने वाले योग दिवस की तैयारियों के तहत हो रहे ये अभ्यास युवाओं में योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम हैं. एनसीसी जैसी संस्थाएं जब प्राचीन भारतीय परंपरा को आत्मसात करती हैं तो वह सिर्फ शारीरिक फिटनेस ही नहीं बल्कि मानसिक मजबूती और एकजुटता की मिसाल भी पेश करती हैं.
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले भारतीय नौसेना के जवानों ने योग सत्र में भाग लेकर दिखाया कि सिर्फ समुद्र की लहरों पर नहीं, भीतर की हलचलों पर भी नियंत्रण जरूरी है. देश की सीमाओं की हिफाज़त में तैनात ये सैनिक जब योग में लीन होते हैं तो वह योग की असली भावना शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को जीवंत कर देते हैं.
वाराणसी के नमो घाट पर गंगा किनारे योग करते युवा सुबह की ठंडी हवा, बहती नदी और शांत वातावरण में योग का ये नजारा किसी ध्यान की तरह सुकून देने वाला है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले हुए इस शिविर में जुटे ये युवा दिखाते हैं कि अब योग सिर्फ बुजुर्गों या साधकों तक सीमित नहीं रहा. नए जमाने की पीढ़ी भी अब इसे अपनाने लगी है, वो भी तन की ताकत, मन की शांति और एक पॉजिटिव सोच के लिए.
जालंधर के पंजाब सशस्त्र पुलिस (PAP) परिसर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले योगाभ्यास करते लोग नजर आ रहे हैं. इनके भीतर का अनुशासन और आत्मसाधना वर्दी के साथ योग की अलग ही तस्वीर बना रही है. सुरक्षा बलों की सख्त दिनचर्या में भी खुद से जुड़ने की एक मजबूत कोशिश होती है. ये सत्र इस बात की मिसाल हैं कि ड्यूटी चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो खुद के लिए कुछ पल निकालना बेहद जरूरी है.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले सेना के जवानों ने खुले मैदान में योग कर एक मजबूत और शांत मन की झलक दिखाई. योग का ये पर्व अब एक बड़ा आयोजन बन चुका है. पिछले साल यानी 2024 में इसका केंद्रीय आयोजन अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुआ था जिसमें खुद पीएम मोदी ने भाग लिया था. धीरे-धीरे योग अब युवाओं, बुजुर्गों और प्रोफेशनल्स व हर वर्ग की दिनचर्या का हिस्सा बनता जा रहा है.